About
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एक खुशहाल जिंदगी
जीने के लिए क्या करना
होगा?
हम कैसे दिमागी
सुकून हासिल कर
सकते है ? क्या
ऐसा हो सकता है कि
इंसान अपनी जिंदगी
में हमें शा खुश
और शांत रह
सके ?ज़ाहिर है
ऐसे सवाल हर किसी के
मन में उठते
होंगे पर ये किताब कहती
है कि ऐसा मुमकिन है.
जिंदगी में खुशियाँ
हासिल करना कोई
मुश्किल काम नहीं
है. बस इसके लिए आपको
कुछ बेसिक बातें
फॉलो करनी
होंगी. वो बेसिक
चीज़ें क्या हैं,
अगर आप जानना
चाहते है तो इस किताब
को एक बार ज़रूर पढ़िये.
ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए?
[0]. जो लोग किसी
तरह की मेंटल
हेल्थ प्रॉब्लम
से जूझ रहे हैं
[0]. जिनकी जिंदगी उलझनों
और परेशानियों से
भरी हुई है
[0]. जो लोग जिंदगी
में सफल होने
की कोशिश कर
रहे हैं
ऑयथिर के बारे में
जेम्स एलेन एक
ब्रिटिश राईटर थे
जो सेल्फ-हेल्प
और इन्सिपिरेशनल किताबें
लिखने में माहिर
थे . उनकी
बेस्ट सेलिंग किताब
है … . … .. जोकि 1903 में पब्लिश
हुई थी. ये किताब आज
भी कई
धार्मिक किताबों और ऑडियोबुक
के लिए एक बहुत बड़ी
प्रेरणा बनी हुई है।
Introductio
आपकी अब तक की जिंदगी कैसी
कटी है? क्या आप जिंदगी से खुश है? क्या आप सुकून से जी रहे हैं?
ऐसा क्या है जो आप जिंदगी
में बदलना चाहते है? हम सबकी जिंदगी में एक ऐसा वक्त ज़रूर आता है जब हम किसी और जिंदगी
जीने की ख्वाहिश रखते हैं.तब हमें ऐसा लगता है जैसे दूसरे लोग हमसे बेहतर जिंदगी जी
रहे है..
इस किताब हमें एक खुशहाल और
सुकून भरी जिंदगी जीने के तरीके सिखाती है और यकीन मानिए ये उतना मुश्किल भी नहीं है.
आपकी कोशिशो से एक अच्छी जिंदगी जीने का सपना हकीकत में बदल सकता है,
बस आपको बेसिक सॉलिड फाउंडेशन
फॉलो करने है और आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि एक खुशहाल जिंदगी जीना इस दुनिया
का सबसे आसान काम है.इस किताब में दिए गए बेसिक फाउंडेशन हमें अपनी जिंदगी में ख़ुशी
और शांति से जीना सिखाते है.तो क्या आप भी तैयार है एक खूबसूरत और सुकून भरी जिंदगी
के लिए?
1. सही पप्रिंसिपल
जब आप घर बनाने की शुरुवात
करते है, तो सबसे पहले क्या करते है? ज़ाहिर सी बात है हम घर का नक्शा तैयार करते है.
हर कोई एक ऐसा घर चाहता है जो अंदर बाहर दोनों जगह से मजबूत हो. लेकिन अगर घर की नींव
ही कमजोर है तो घर कैसे मजबूत बन सकता है.आप फाउंडेशन को हल्के में नहीं ले सकते, वर्ना
कोई भी हादसा हो सकता है. ऐसा घर लंबे समय तक नहीं टिक सकता. नींव अगर कमज़ोर है तो
पूरी बिल्डिंग ही कमज़ोर हो जायेगी.
हमारी जिंदगी की कहानी भी
कुछ ऐसी ही है, जैसे एक घर को मजबूत नींव की जरूरत होती है वैसे ही
जिंदगी की नींव भी मजबूत होनी
चाहिए. आप जिंदगी में चाहे जो कुछ हासिल करना चाहते हो, आपको एक सॉलिड फाउंडेशन की
जरूरत पड़ती है. कुदरत बहुत बेरहम है, अगर उन्हें आपकी जिंदगी में कोई भी डाउट या कन्फ्यूजन
दिख जाए तो ये आपको बर्बाद करने में एक पल नहीं लगाते . फिर आप जिदंगी का कोई भी गोल
पूरा नहीं कर पाओगे और ना ही ख़ुशी और सफलता हासिल कर पाओगे.
हर किसी को जिंदगी में कहीं
न कहीं से शुरुवात करनी पड़ती है. जैसे आप रेस में हिस्सा ले रहे हो तो
बिना दौड़े आप जीत हासिल नहीं
कर सकते. बिल्कुल नहीं, आपको मेहनत करनी पड़ेगी. सुबह जल्दी उठकर एक्सरसाइज़ भी करनी
होगी और साथ ही खाने-पीने का भी ध्यान रखना होगा. ठीक यही बात एक स्टूडेंट पर भी लागू
होती है, algebra तक पहुँचने से पहले उसे बेसिक
अल्फाबेट सीखने पड़ते है.
लाइफ में कभी शोर्ट कट लेने
की गलती मत करना. हर शुरुवात से पहले अपने मन को पक्का कर लो, मन ही मन उसकी तैयारी
कर लो. खुश रहने के लिए और सफल होने के लिए आपको सही प्रिंसिपल्स पर चलना होगा. अगर
शुरुवात ही गलत हुई तो समझ लो बाद में सब गलत ही गलत होगा. और गलत काम और गलत सोच हमें
कहीं का नहीं छोड़ती.जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ, इंसान की
जिंदगी और मुश्किल होती गई.
कभी सोचा है कैसे हम इंसानों ने सिर्फ 26 alphabet यूज़ करके कैसे हज़ारो-लाखो किताबें लिख डाली? लेकिन हमारे प्रिंसिपल आज भी सिंपल
और आसान है. ये प्रिंसिपल
हमारी वो फाउंडेशन है जो हमारे
केरेक्टर यानी चरित्र को मजबूत बनाते है और हमें सफलता के रास्ते पर
लेकर जाते है.
पर आखिर ये प्रिंसिपल्स हैं
क्या? आपको जिंदगी में खुश रहने के लिए सिर्फ पांच की जरूरत पड़ेगी. आप शायद बचपन से
इनके बारे में सुनते आए होंगे और हर किसी को इनके बारे में पता है पर सच तो ये है कि
इन प्रिंसिपल्स पर चलना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है.
लेकिन अगर आप इन प्रिंसिपल््स
को जिंदगी में उतारने में कामयाब रहे तो यकीन मानिए आप लाइफ की बड़ी से बड़ी चुनौती
स्वीकार कर सकते है. सफलता आपके कदम चूमेगी और खुशियों से आपका दामन भर जाएगा.
तो हमारा पहला प्रिंसिपल है
ड्यूटी यानी फ़र्ज़: यानी हम पूरी तरह से अपना हर फ़र्ज़ निभाए. जो हमारा काम है उसे
ईमानदारी से करना ही फ़र्ज़ है. दूसरों की जिंदगी में ताक-झाँक करने के बजाए हमें अपनी
जिंदगी से मतलब रखना है. जो हमारा काम है, उसे पूरी जिम्मेदारी से करना जरूरी है. आपका
लक्ष्य होना चाहिए कि आप अपने काम को बढ़िया और परफेक्ट ढंग से करे.
हमारा दूसरा प्रिंसिपल है
ईमानदारी: ईमानदारी का मतलब है हम किसी से बेवजह झूठ ना बोले, किसी को धोखा ना दे.
आपकी जुबान से निकला हर शब्द सही और सच्चा हो. याद रखे, जो ईमानदार होता है, उसी की
ईज्जत होती है. और ईज्जत बढ़ने से आपकी गुडविल बढ़ेगी. जब लोग आपको भरोसा करेंगे तो
ज़ाहिर है हज़ारो-लाखो किताबें लिख डाली? लेकिन हमारे प्रिंसिपल आज भी सिंपल और आसान
है. ये प्रिंसिपल हमारी वो फाउंडेशन है जो हमारे केरेक्टर यानी चरित्र को मजबूत बनाते
है और हमें सफलता के रास्ते पर लेकर जाते है.
पर आखिर ये प्रिंसिपल्स हैं
क्या? आपको जिंदगी में खुश रहने के लिए सिर्फ पांच की जरूरत पड़ेगी. आप शायद बचपन से
इनके बारे में सुनते आए होंगे और हर किसी को इनके बारे में पता है पर सच तो ये है कि
इन प्रिंसिपल्स पर चलना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है.
लेकिन अगर आप इन प्रिंसिपल््स
को जिंदगी में उतारने में कामयाब रहे तो यकीन मानिए आप लाइफ की बड़ी से बड़ी चुनौती
स्वीकार कर सकते है. सफलता आपके कदम चूमेगी और खुशियों से आपका दामन भर जाएगा.
तो हमारा पहला प्रिंसिपल है
ड्यूटी यानी फ़र्ज़: यानी हम पूरी तरह से अपना हर फ़र्ज़ निभाए. जो हमारा काम है उसे
ईमानदारी से करना ही फ़र्ज़ है. दूसरों की जिंदगी में ताक-झाँक करने के बजाए हमें अपनी
जिंदगी से मतलब रखना है. जो हमारा काम है, उसे पूरी जिम्मेदारी से करना जरूरी है. आपका
लक्ष्य होना चाहिए कि आप अपने काम को बढ़िया और परफेक्ट ढंग से करे.
हमारा दूसरा प्रिंसिपल है
ईमानदारी: ईमानदारी का मतलब है हम किसी से बेवजह झूठ ना बोले, किसी को धोखा ना दे.
आपकी जुबान से निकला हर शब्द सही और सच्चा हो. याद रखे, जो ईमानदार होता है, उसी की
ईज्जत होती है. और ईज्जत बढ़ने से आपकी गुडविल बढ़ेगी. जब लोग आपको भरोसा करेंगे तो
ज़ाहिर है कि आपके बिजनेस में भी तरक्की होगी, एक बढ़िया बिजनेस आपके लिए सफलता के
दरवाजे खोल देगा.
हमारा तीसरा प्रिंसिपल है
इकॉनमी: ये प्रिंसिपल सिर्फ पैसे पर अप्लाई नहीं होता. इकॉनमी में आपके
फिजिकल और मेंटल भी
शामिल है.आपको अपने लालच और गुस्से में अपने रिसोर्सेज
बर्बाद नहीं करने है. अपनी
इकॉनमी पर कंट्रोल होना बेहद जरूरी है, इससे पता चलता है कि आपका
केरेक्टर कितना मजबूत है और
आप किस हद तक खुद पर कंट्रोल रख सकते है.
हमारा चौथा प्रिंसिपल है Liberality:
Liberality इकॉनमी के पीछे ही चलती है. दोनों एक
दूसरे से कनेक्टेड है. अपने रिसोर्सेज को अपने मज़े के लिए बर्बाद करना बहुत बड़ी बेवकूफी
होगी. लिब्रेटिंग का मतलब है दिल बड़ा रखना या उदारता का गुण,इससे आपके अंदर बडप्पन
आता है और दुश्मन भी आपके दोस्त बन जाते है.
हमारा पांचवा और आखिरी प्रिंसिपल
है सेल्फ-कंट्रोल : जिनमे सेल्फ कंट्रोल नहीं होता, वो लोग
गलत काम करने में ज़रा भी
नहीं हिचकते और अक्सर बहुत दुःख भोगते है. इनका कोई भी काम आसानी से नहीं बनता, और
ये लोग फिजिकली, मेंटली और फाईनेंशियली भी काफी कमज़ोर होते है. जैसे कि मान लो कोई
बिजनेसमेन है जो हमेंशा अपने कस्टमर पर चिल््लाता रहता है. आप समझ सकते है कि वो कभी
एक सफल बिजनेसमेन नहीं बन सकता. उसके गुस्से की वजह से उसके कस्टमर दूर होते जायेंगे.
इंसान को चाहिए कि वो बर्दाश्त करना सीखे. हमें सबके प्रति इंसानियत और दया रखनी चाहिए.
अगर आपके अंदर ये गुण नहीं है तो आप कभी सफलता की उंचाइयो को नहीं छू सकते, महान वही
बनता है जो महान काम करता है. छोटे दिल के लोग कभी बड़ा काम नहीं कर सकते. आप इन शब्दों
से वाकिफ है तो इन्हें रियल लाइफ में भी अप्लाई करे. जिन उसूलों की बात हम करते है,
अगर आपने उन्हें जिंदगी में अप्लाई नहीं किया तो समझ लीजिए आपकी ख़ुशी और सफलता दांव
पर लगी है.
2. सही मेथड
आपके राईट प्रिंसिपल्स और आपके एक्शन का आपस में कनेक्शन होना जरूरी है. अगर आप जानते
हुए भी उन पर अमल नहीं कर पाए तो उन्हें जानने का फायदा क्या हुआ? उन प्रिंसिपल्स को रियल लाइफ में
अप्लाई करने के लिए आप कौन से मेथड यूज करेंगे, ये जानना भी बेहद जरूरी है. मशीन तभी अच्छी और
यूज़फुल मानी जाएगी जब वो सही ढंग से काम करे. मशीन का हर पार्ट आपस में मिलकर मशीन को काम
करने लायक बनाते है. यही बात जिंदगी पर भी लागू होती है. जब आप अपने प्रिंसिपल्स और अपनी जिंदगी
के बीच एडजस्ट करने की कोशिश करोगे, तभी आप ज्यादा पॉवरफुल और एफिशिएंट बन सकोगे. ..
एक खुशहाल जिंदगी जीने के लिए रूल््स और रेगुलेशन जरूरी है. समझदार लोग अपनी जिंदगी की
छोटी से छोटी बात पर भी ध्यान देते है. जबकि बेवकूफ लोग एकदम इसका उलटा करते है. एक समझदार
आदमी को पता होता है कि छोटी-छोटी बाते ही आगे चलकर बड़ा प्रभाव डालती है. इसलिए समझदार लोग
सोच-समझ कर अपना हर काम करते है और बात अगर पैशन की हो तो ऐसे लोग डिसप्लीन फॉलो करते है
और कुछ भी बोलने से पहले सौ बार सोचते है.
सबसे सही तरीका है कि हम जिंदगी में डिसप्लीन रखे. अपनी डेली रूटीन की छोटी से छोटी बात पर
गहराई से गौर करे. एक स्ट्रिक्ट टाइम टेबल बना ले कि कब सोना है और कब उठना है, कब खाना है और क्या
खाना है. क्या आपके खाने-पीने का कोई फिक्स टाइम है या आप बेवक्त खाते-पीते हो ? ये सवाल इसलिए
जरूरी है ताकि हमारा हाजमा और सेहत दोनों दुरुस्त रहे. इसके अलावा
आउटड़ोर एक्टिविटी जैसे गेम्स और
अपने काम का टाइम भी फिक्स रखे. एक शेड्यूल मेंटेन करने से लाइफ में कितनी इम्प्रूवमेंट
होती है, ये आप सोच भी नहीं सकते.
छोटी-छोटी बातो का ध्यान रखने से जिंदगी में तालमेल तो बनता ही है साथ ही हमें
एक ख़ुशी और
सुकून का एहसास भी होता है.
उ. सही एक्शन
टू एक्शन का मतलब है सही प्रिंसिपल और सही मेथड को फॉलो करना. टू एक्शन का मतलब
है दूसरों
के साथ अच्छा व्यवहार करना. हालाँकि ये बात हमें सुनने और पढने में बड़ी अच्छी
लगती है और अक्सर हम इसे रियल लाइफ में फॉलो करना उतना जरूरी नहीं समझते, पर अगर आपको
में खुशियाँ और सक्सेस चाहिए तो इस बात को कभी नजरअंदाज मत कीजिए. ज़रा अपने व्यवहार
पर गौर कीजिए, आप लोगो से कैसा बर्ताव करते है? क्या आप लोगो के साथ एक हमदर्दी भरा
व्यवहार करते है? अगर करते है तो बड़ी अच्छी बात है, क्योंकि इससे आपकी जिंदगी भी शांति
से गुजरेगी. टू एक्शन ना सिर्फ आपको बल्कि आपके आस-पास वालो को भी खुश रखता है.
पर हमें कैसे पता चलेगा कि हमारे एक्शन ट्र हैं या नहीं? तो ये उतना ही आसान है
जैसे हम चीजों को
अलग-अलग रखते है, जैसे कि हम किताबें बुक शेल्फ में रखते है और कपड़े अलमारी में.
जो काम हम अच्छी मंशा यानी इरादे से करते है, वो काम अच्छा है. अगर किसी एक्शन का मकसद
आपकी और बाकि लोगो की भलाई है तो उसे हम टू एक्शन मान सकते है.
टू एक्शन करने वाले लोग केयरफुल होते है, ये बगैर सोचे-समझे कोई काम नहीं करते
और ऐसा कोई
काम हरगिज़ नहीं करते जिससे किसी का बुरा हो या किसी को बुरा लगे. यहाँ सेल्फ कंट्रोल
का कांसेप्ट पूरी तरह से अप्लाई होता है, यानी हमारा अपने स्पीच और एक्शन दोनों में
कंट्रोल होना जरूरी है. ऐसे लोग कभी किसी की बुराई नहीं करते. यहाँ तक कि गुस्से की
हालत में भी ये लोग कुछ भी बोलने से पहले खुद को शांत कर लेते है.
टू एक्शन के लिए ईमानदार और सच्चा होना जरूरी है. एक समझदार इंसान वही है, जिसके
अंदर ये दोनों गुण होंगे. कुछ भी कहने या कोई भी वादा करने से पहले अच्छी तरह सोच लो.
और हाँ, आपके इरादे भी अच्छे होने चाहिए. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि अच्छे ईरादे
होने के बावजूद हमसे गलती हो जाती है, ऐसा कब होता है? जब हम बिना सोचे-समझे एक्शन
लेते है. इसलिए पहले ये देख लो कि उस एक्शन का नतीजा क्या निकलेगा? कहीं उसके पीछे
कोई और मोटिव तो नहीं है? ऐसे मामलो में हमेंशा अपनी आंखे खुली रखिये, आपकी लापरवाही
से कोई बड़ी गलती भी हो सकती है.
4. सही बात
जैसा कि हमने पहले भी कहा है सिंसेरिटी हमारे अंदर सच्चाई लाती है. और हर अच्छी
चीज़ की शुरुवात
सच से होती है. इसलिए कभी भी झूठ ना बोले. किसी को धोखा देना या गलत काम करना भी
एक तरह का झूठ ही है. झूठ के सहारे आप कभी ना तो खुश रह सकते हो और ना ही सफलता पा
सकते हो...
दूसरों से झूठ बोलना या झूठे वादे करना पाप है पर उससे भी बड़ा पाप है अपने आप
से झूठ बोलना. खुद को कभी कन्विसं मत करो कि आप बुराई के रास्ते पर चलकर सफल हो सकते
हो क्योंकि इससे आप खुद को ही धोखा दोगे. आप झूठ की बुनियाद पर खुशियों का महल खड़ा
करना चाहते है? तो ये कभी नहीं हो पायेगा. जिंदगी में खुशियाँ, मन की शांति और सब्र
तभी मिलता है जब आप उन्हें अपने एक्शन में लाते हो. ख़ुश रहने का बस यही एक सही तरीका
है.
चुगली यानी दूसरो की बुराई करना, झूठ का सबसे बुरा रूप है. जेम्स एलेन चुगली पर
जोर देते है क्योंकि लोग इसे हल्के में लेते है, जो लोग चुगली सुनते है, उन्हें वही
सच लगता है. क्योंकि अक्सर लोग बुरी बातो पर झट से यकीन कर लेते है. लेकिन ऐसा नहीं
है,चुगलखोरो को कोई बात सुनने वाला चाहिए ताकि वो निंदा कर सके. वैसे चुगली करना अपने
आप में बुरी आदत है पर उससे भी बुरी आदत है किसी की चुगली सुनना. इसका असर आप पर भी
गलत पड़ेगा क्योंकिआप भी उस बुराई की चपेट में आ गए. इसलिए चुगली करने वाला और सुनने
वाला दोनों गलत है.चुगली की शुरुवात छोटी होती है. कई बार
गलतफहमी की वजह से भी लोग एक- दूसरे की चुगली करने लगते है. एक एक्जाम्पल लेते है, माइक और हेनरी की किसी बात पर बहस हो गई. माइक को लगता है कि हेनरी बड़ा डिमांडिंग है इसलिए उसे गुस्सा आ रहा था. तो माइक अपने दोस्तों के पास जाकर हेनरी की बुराई करने लगता है, अब उसके दोस्त उससे हमदर्दी रखते है तो उनकी नजर में हेनरी गलत हो गया. हालाँकि उन्हें पूरी बात मालूम नहीं है पर सिर्फ माइक की बात सुनकर उन्होंने हेनरी को गलत समझ लिया. और उन्होंने अपने दूसरो दोस्तों से भी हेनरी की बुराई करनी शुरू कर दी, इस तरह बात फैलती चली गई और एक छोटी सी बात का बतंगड बन गया.
तो देखा आपने चुगली कितनी बुरी आदत है.इसलिए खुद को चुगली से टूर ही रखिये. ना किसी की बुराई कीजिये ना सुनिए. आपको कोई गलत समझे तो ये उसकी प्रोब्लम है. आप जानते है कि आप एक अच्छे इंसान है तो वही आपके लिए काफी है. अच्छे बनिये,अच्छा सोचिये और एक खुशियों भरी जिंदगी जिए.
5. समान मानसिकता
इक्वल माइंडनेस का मतलब है कि आप दिमागी तौर पर सुकून से जी रहे है. अगर मन में बैलेंस ना हो तो
सुकून से कैसे जी पाओगे ? समझदार लोग कभी लोग भेदभाव नहीं करते और ना ही किसी एक की साइड
लेते है. आप एक ओब्ज़र्वर हो जिसे हर किसी के साथ हमदर्दी है.
अगर हम किसी एक की साइड लेंगे तो हम पर तरफदारी करने का ईल्जाम लग सकता है. बेशक हमें
ये लगे कि हम सही साइड ले रहे है. और इस चक्कर में कई बार हम सच्चाई को भी झुठलाने लगते है. हम
दूसरो को मेंटली अटैक करने लगते है और खुद को डिफेंड करने की कोशिश करते है. फिर होता ये है
कि सामने वाले और हमारे बीच एक नफरत पनपने लगती है. नफरत हमें एक कड़वाहट से भर देती है. ये
सब चीज़े माइंड को बैलेंस में नहीं रहने देती और एक माइंड कभी हमें सुकून से जीने नहीं देता.
इक्वल माइंडेड इंसान कभी अपनी सोच को अपने जजमेंट पर हावी नहीं होने देता. वो सबकी बात सुनता
है और सबसे हमदर्दी रखता है ताकि वो बात को हर पॉइंट ऑफ़ व्यू से समझ सके, इसके दो फायदे होते
है, एक तो उस खास विषय पर उसकी जानकारी में ईज़ाफा होता है और दूसरा, किसी के साथ मतभेद नहीं
रहते.
और जब मतभेद नहीं होंगे तो जिंदगी में कोई क्लेश नहीं होगा. लेकिन इसके लिए आपके अंदर
इतना सब्र होना चाहिए कि आप दूसरों की बात सुने.अपनी हर इच्छा, ओपिनियन और 85 यानी झुकाव या पक्षपात से
ऊपर उठिए. अगर खुले दिल से सबकी बात सुनोगे तो ही सुकून से जी पाओगे.
6. अच्छे रिजल्ट
हमारे साथ कुछ भी बिना वजह नहीं होता. हर चीज़ के पीछे एक वजह ज़रूर होती है, इसमें किस्मत का कोई रोल नहीं है. आप मेहनत करते है तो रिजल्ट भी अच्छा मिलता है. आपको जो मिला है अपनी मेहनत से मिला है. अगर आप चाहे तो अपनी जिंदगी सुकून और शांति के रास्ते पर ले जा सकते है. जो कुछ अभी आपके साथ हो रहा है, वो भी आपके एक्शन की वजह से ही हो रहा है.
हम जैसा बोते है, वही काटते है. जिंदगी का यही उसूल है. आपके साथ अगर कुछ अच्छा हो रहा है तो
उसकी वजह आप खुद है और अगर बुरा तो उसके पीछे भी आपके एक्शन है. शराबी अचानक खुद ब खुद
शराबी नहीं बन जाता, बल्कि इसलिए बनता है क्योकि वो रोज़ पीता है.
है. आप खुश रहना चाहते हो तो खुश ही रहोगे ठीक इसी तर ह आपकी खुशियाँ भी आपके हाथ में
. जिंदगी मुश्किलों से भरी है इसलिए आपको अच्छे रिजल्ट पाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी. पर आपके एक्शन कभी वेस्ट नहीं जाएँगे. अगर दिमाग में कुछ ठाना है तो उसे अचीव करने के लिए पूरा एफर्ट डालो, अगर इरादे नेक
है तो सफलता भी ज़रूर मिलेगी. बुरे इरादे से किये गए काम कभी सफल नहीं होते.
बुरा मत मानिए पर ये सच है कि बुरे कर्मों का नतीजा भी बुरा ही मिलता है. हमारे बुरे कर्म लौटकर हमारे
ही पास आते है. हम फिर से यही बोलेंगे कि हम वही मिलता है, जिसके हम लायक होते है. हर एक्शन के
पीछे कई सारे रिएक्शन होते है. इसलिए सोच-समझ कर एक्शन ले. सही प्रिंसिपल, स्पीच और एक्शन फॉलो
करें
. अगर आप अपनी फाउंडेशन मजबूत करेंगे तो जिंदगी में खुशियाँ और शांति ज़रूर मिलेंगे.
इस किताब में हमें एक खुशहाल और शांत जिंदगी जीने के तरीके बताती है. लेकिन ये तभी मुमकिन है जब
हमारी फाउंडेशन मजबूत होगी. तो हमें एक खुशहाल और सफल जिंदगी जीने की शुरुवात कैसे करनी
चाहिए, ये सीखना बेहद जरूरी है...सबसे पहले तो आपको ये फैसला लेना है कि आप
अपनी जिंदगी किन उसूलो पर जीना चाहते हो क्योंकि उसूलो के बगैर एक लाइफ नहीं जी जा सकती. “फ़र्ज़, ईमानदारी, सेल्फ- कंट्रोल ,और इकोनोमी” जिंदगी के ये पांच उसूल ऐसे है जो आपके चरित्र का निर्माण करते है और हमें एक सही जिंदगी जीने का रास्ता भी दिखाते है. इन उसूलों के बारे में सिर्फ जानना ही काफी नहीं है बल्कि
आपको इन उसूलों पर जिंदगी जीने की कोशिश करनी चाहिए.
दूसरी बात, आपने लाइफ में जो प्रिंसिपल सेट किए है, उन पर पूरी ईमानदारी से चलिए. और इसके लिए
आपके अंदर सेल्फ-डिसप्लीन का होना बेहद जरूरी है. अपनी लाइफ को रेगुलेट कीजिये ताकि आप एक चैन
के साथ एक खुशहाल जिंदगी का आनंद ले सके.तीसरी बात, लाइफ में कोई भी एक्शन लेने से पहले
उस पर गौर कर लीजिये. ये सोचिये कि जो भी आप कर रहे है, उसे करने के पीछे आपकी मंशा क्या है? क्या
आप पूरी ईमानदारी से उस काम को कर रहे है? उस काम से आप क्या हासिल करना चाहते है? इसका आप
और बाकि लोगो पर क्या असर पड़ेगा? जिंदगी में सोच विचार कर फैसले लेना बहुत जरूरी है.
चौथी बात: रहिये, यानी आपके दिल में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. बेशक सबकी बात
सुनो पर किसी एक की तरफदारी मत करो. हमारा व्यवहार सबके लिए बराबर होना चाहिए, इससे हमें भी
फालतू की टेंशन नहीं होगी और सबके साथ हमारे रिश्ते मधुर बने रहेंगे.
और आखिरी बात: हम खुद अपनी किस्मत बनाते है.आपको सफलता इसलिए मिली क्योंकि आपने मेहनत
की. इसलिए अगर आप अपनी जिंदगी सही प्रिंसिपल,सही एक्श्र और सही स्पीच के साथ जीएंगे तो फिर किस्मत भी आपका पूरा साथ देगी.
अभी भी बहुत देर नहीं हुई है, आप इन प्रिंसिपल्स को आज से ही अपनी जिदंगी में उतार सकते है. ये सोचकर
एक्साईटमेंट भी होती है पर थोडा डर भी लगता है कि अपनी जिदंगी को बदलने की ताकत खुद हमारे हाथ
में ही है. अपनी जिंदगी का एक लक्ष्य बना लीजिये कि हमें पहले से ज्यादा खुश रहना है और पहले से ज्यादा
सक्सेसफुल बनना है. ये सोचकर ही कितना सुकून मिलता है कि हम अपनी तकदीर के मालिक खुद बन
सकते है, तो अब देर की बात की, आइए! आज से ही एक नई जिंदगी की शुरुवात करते है.
Complete.
Thank you for complete the summary, and share the summary your friends and family members.
It is complted by help of gigl application.
3 Comments
It is a very important summary ,thank you for sharing the premium quality of artical
ReplyDeletesuper
ReplyDeleteThank you so much for sharing thoughts by this article.. very very thoughtful and motivative article
ReplyDeleteThank you