Bouncing Back (Hindi) by Linda graham

 the photo take it stock. Adope. Com

About Book


क्या आपने अभी अभी अपने परिवार में एक ट्रेजेडी

या नुकसान का अनुभव किया है? क्या आप उदास या

अकेले हैं? अगर हां, तो आपको ये बुक पढ़नी चाहिए.

आपके पास अपने ब्रेन को फिर से जोश से भरने की

शक्ति है. आपके पास पावर है खुद को ठीक करने और

जीवन में एक नई दिशा खोजने की. ये बुक आपको

सिखाएगी कि ये आप कैसे कर सकते हैं.


यह बुक किसे पढनी चाहिए


जिन लोगों ने कुछ खोया हो, जिनके पास जॉब नहीं

है, नेचुरल डिजास्टर, फिजिकल एब्यूज या कोई

दुर्घटना, जिन लोगों को घबराहट या डिप्रेशन हो

 

हम इस समरी से क्या सीखेगें

 

1.. क्या आप कभी चेंज से घबराए है? ज़वाब देने की

ज़रुरत नहीं क्योंकि आप ही नहीं ऐसे बहुत से लोग है

जो चेंज से डरते है. और इसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम ये

है कि जाने- अनजाने हम सब कहीं ना कहीं लाइफ में

आने वाले चेंजेस को अवॉयड करना चाहते है. तो क्या

आप जानना चाहेंगे ऐसा क्यों होता है ? अगर आपको

इस टॉपिक पर और ज्यादा जानकारी चाहिए तो हमारे

साथ रहिये. यहाँ हम आपको बताएँगे कि चेंज को रोकने

के लिए कौन-कौन से डिफरेंट टाइप की रुकावटे है

और ऐसी सिचुयेश्न्स कौन सी है जब आप एक्टिवली

इन चेंजेस को होने से रोकन चाहते है. इसके अलावा

हम आपको एंगर प्रॉब्लम यानि गुस्से पर कुछ बढ़िया

एडवाइस भी देंगे और साथ ही बताएँगे कि कैसे इस पर

कंट्रोल किया जाये.

2. क्या आपने कभी अपनी अनस्टेबल इमोशनल

लाइफ के बारे में सोचा है? क्या आपको कभी ऐसा

महसूस हुआ कि ओवररिएक्शन से बचना बहुत मुश्किल

काम है ? या फिर क्या आपने कभी गौर किया है कि

कुछ सिचुएशन में चीज़े बैटर हो सकती थी अगर आप

ज्यादा ओवररिएक्ट ना करते ? इस summary में

हम आपको मूड को रेगूलेट करने के लिए कुछ बेस्ट

टेक्नीक्स बताने वाले है. हम ये भी डिसकस करेंगे कि

स्ट्रेस, एन्जाईटी, और डर जैसे इमोशंस को कैसे हैडल

करे और ऐसे लोगो का रियल लाइफ एक्जाम्पल भी

देंगे जो इन इमोशंस पर कंट्रोल कर पाए और इनके

मास्टर बन गए. मगर अच्छी चीज़े बस यही खत्म नहीं

होती. जब आपकी लाइफ में बुरी चीज़े होती है तो

सब कुछ बदल जाता है. जैसे कि लाइफ में आने वाले

उतार-चढावो का आपके स्लीपिंग पैटर्न पर भी गहरा

असर पड़ता है. और अगर आप ढंग से सोयेंगे नहीं तो

चीज़े और बुरी होती चली जाती है. इसलिए हम आपको

यहाँ कुछ प्रेक्टिकल एडवाइस देंगे जिससे आप बैटर

और बढ़िया क्वालिटी की नींद ले पाए. फिर आप पूरे

दिन ना सिर्फ कम थकान महसूस करेंगे बल्कि पहले से

ज्यादा एफिशिएंट और बैटर तरीके से अपना दिन गुज़ार पायेंगे.

तो चलिए, शुरू करते है !

चेंज का प्रोसेस- जैसा कि हमने पहले कहा अपनी

लाइफ में किसी भी तरह का चेंज लाने से पहले हमें

ये पता होना चाहिए कि चेंज क्यों ज़रूरी है. जब कोई

इंसान इस बात को समझेगा उसके बाद ही जाकर इस

चेंज के लिए तैयार होगा. अब जैसे कि बहुत से लोग

स्ट्रेस में आकर या इमोशनल होकर ड्रिक लेना शुरू कर

देते है. उनको लगता है कि ड्रिंक लेने से उन्हें रीलेक्स

फील होगा और उनकी लाइफ में जो भी प्रॉब्लम चल

रही है वो दूर हो जायेगी. हालांकि वे इस बात से इंकार

कर देते है कि प्रॉब्लम सोल्व करने के चक्कर में वे एक

और प्रॉब्लम में फंस रहे है. ये प्रोब्लम है ड्रिंकिंग की

बाद में धीरे-धीरे उनकी एक बुरी आदत बन जायेगी.

अब होता ये है कि वे अपनी ओन्‍गोइनग परेशानियों का

इलाज़ एक और बुरी आदत (ड्रिंकिंग) में दंड रहे है. ऐसा

करने से उनकी पुरानी प्रोब्लम्स तो सोल्व होती नहीं

बल्कि एक और बुरी आदत उनके गले पड़ जाती है. तो

आप देख सकते है कि इस तरह प्रॉब्लम जहाँ की तहां

रहती है और कोई सोल्यूशन भी नहीं निकलता है।

लाइफ में चेंज लाना या खुद को चेंज करना इतना

भी आसान नहीं होता. चेंज जितना बड़ा होगा

साइकोलोजिकल रेजिस्टेंस भी उतना ही ज्यादा होगा.

मगर फिर भी इसका एक सोल्यूशन निकल सकता है.

अपनी डिफिक़ल्टीज़ को रीज़ोल्व करने के बजाये आप

अपनी सारी प्रोबल्म्स को कुछ डिफरेंट तरीके से समझने

की कोशिश करे. सबसे पहले उन सबकी एक लिस्ट

बनाकर लिख ले, हो सकता है आपकी लिस्ट कुछ इस

तरह दिखे:

1.कम नींद

2. लोगो के साथ कम्युनिकेशन करते वक्त घबराना

3. काम में मन ना लगना

4. . प्रोमोशन ना मिलना

5. जितनी होनी चाहिए उतनी एक्सरसाइज़ ना हो पाना

 

अब इन सबको एक साथ टेकल करने के बजाये सबसे

पहले अर्जेंट प्रोब्लम्स को छांट ले. अगर आपको ढंग

से नींद नहीं आती तो ये आपकी सबसे अर्जेट प्रॉब्लम

है. इसके लिए एक टेक्नीक जिसे हम बाद में एलोब्रेट

करके समझायेंगे, उसका इस्तेमाल करे. सोने से दो

घंटे पहले सारे डीवाइसेस जैसे फोन, कम्प्यूटर्स, टीवी

वगैरह बंद कर दे. कुछ दिनों तक ये तरीका आजमाए

फिर आप देखेंगे कि कैसे आपको बढ़िया नींद आने

लगेगी. तो अब जब आपको नींद अच्छी आ रही है तो

बाकी प्रोब्लम्स पर ध्यान दे सकते है. अगली प्रोब्लम

है वर्क एफिशियेंशी यानी दिल लगाकर बढ़िया काम

करना. अब ये एक मानी हुई बात है कि जो रातो को चैन

से सोता है वही सुबह उठकर पूरी एनर्जी के साथ काम

कर सकता है. और जब आपका काम बढ़िया होगा तो

प्रोमोशन तो मिलेगा ही मिलेगा और प्रमोशन आपकी

चौथी प्रोबलम थी

1.अपने मसल्स रीलेक्स करके

2.. ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ से

3.फिजिकल एक्सरसाइज़ से

4... अपने इमेजिनेशन में अच्छी बाते सोचकर

5.. मेडिटेशन करके

ऑफकोर्स हम आपको ये नहीं कहेंगे कि आप इनमे

से हर एक टेक्नीक यूज़ करे या फिर सब एक साथ

ट्राई करे. मगर हां, स्ट्रेसफुल टाइम में इनमे से एक भी

करेंगे तो आपको पक्का हेल्प मिलेगी. यही एनी ने

 

भी किया जब वो अपने जॉब में काफी स्ट्रेस हो गयी

थी..ऐसी सिचुएशंस में उसे सबसे पहले अपनी मसल्स

खिंची-खिची लगती थी तो उसने पहले अपनी कम्प्लीट

बॉडी रीलेक्सिंग पर फोकस किया. वो चुपचाप एक

जगह पे बैठ गयी और अपनी पूरी बॉडी को रीलेक्स

छोड़ देती वो धीरे-धीरे और गहरी सांस ले रही थी. उसे

महसूस हुआ कि उसकी हर साँस के साथ बॉडी का

टेंशन टूर हो रहा है और मसल्स भी रीलेक्स होते जा रहे

थे. कुछ मिनट बाद ही वो फिर से रीफ्रेशड और काम

डाउन हो गयी थी और काम के किसी भी प्रेशर को

झेल सकती थी. दुसरो वर्ड्स में कहे तो उसने मसल्स

रीलेक्सेसन और ब्रीथिंग एक्सरसाइज़ का बहुत बढ़िया

यूज़ किया था. ये एक्सरसाइज़ेस एक तरह से एनशियेंट

मेडिटेशन प्रेक्टिस की तरह होती है.

 

मगर कामनेस और पीस पाने के और भी कई तरीके है.

ये आपको थोडा पैराडोक्सिक्ल लग सकता है लेकिन

साथ में कुछ फिज़िकल एक्सरसाइजेस करने से शायद

कुछ काम बने. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब हम

कोई ट्रेनिंग फिनिश करते है तो हमारा दिमाग एक

सब्सटेंस रिलीज करता है जिसे एन्डरोफिन्स कहते है

जो कि एक तरह का ट्राक्विंलाइजर है. अब आपको

एक एक्जाम्पल देते है, हालांकि एनी काम से थकी

हारी घर लौटी थी फिर भी वो थोड़ी देर घर के बाहर

वाक्‌ करती रही. उसे अच्छा फील हुआ क्योंकि अपने

काम के दौरान वो ज़्यादातर बैठी रहती है और जब से

उसकी टांग टूटी थी उसका चलना फिरना तो जैसे बंद

ही हो गया था. और जब वो वाक्‌ करके आई तो उसकी

वजह से उसके दिमाग में जो एन्डरोफिन्स रिलीज़ हुए

उससे उसका सारा स्ट्रेस और टेंशन चला गया, तो हम

देख सकते है कि एक छोटी सी वाक्भी कितनी हेल्‍दी हो

सकती है, आपको अपने एन्डरोफिन्स रिस्पोंस के लिए

किसी एथलीट की तरह हार्ड प्रेक्टिस की ज़रुरत नहीं है,

बस एक वाक्‌ ही काफी है.

अब लास्ट बट नोट लिस्ट वाली बात, जब भी आपको

लगे कि आप इतने आंकशियस है कि एक वर्ड भी

नहीं बोल पा रहे तो आप ये सिम्पल सी इमेजिनेटिव

एक्सरसाइज़ ट्राई कर सकते है- अपने सेफ स्पेस

में जाने की. ये कोई जोक नहीं है, पहले बताई गयी

टेक्नीक्स की तरह ही ये भी न्यूरोलोजी और कोगनिटिव

साइंस पर बेस्ड है. ऐसा देखा गया है कि कोई

पार्टिक्यूलर चीज़ देखने पर आपका दिमाग जो रिस्पोंस

देता है वही उसे इमेजिन करने पर भी देता है. तो जब

आप आंकशियस होने लगते है तो खुद को अपने सेफ

स्पेस में इमेजिन करने से आप सच में खुद को उस सेफ

स्पेस में ले जाते है. एनी को केलिफोर्निया के बड़े-बड़े

बीचेस बहुत पसंद थे. एक दिन उसका एक को-वर्कर

उसके पास आकर किसी काम के लिए एनी को खामखा

क्रिटिसाइज़ करने लगा जिसमे एनी की कोई गलती थी

ही नहीं. उस कलीग के साथ उलझकर बेकार की बहस

करने के बजाये एनी ने अपनी आँखे धीरे से बंद कर

ली और अपने माइंड में केलिफोर्निया के वही शानदार

बीचेस इमेजिन करने लगी जहाँ उसे बचपन में खेलना

अच्छा लगता था, कहने की ज़रुरत नहीं कि जब उसने

आँखे खोली तो वो बिलकुल वैसा ही महसूस कर रही

थी जब वो बीस साल पहले रेत में खेलती एक छोटी सी

लड़की हुआ करती थी.

एंगर कंट्रोल-गुस्सा सबसे ज्यादा डिसट्रकटिव ह्युमन

इमोशन है. गुस्सा आपके रीलेशनशिप्स बर्बाद कर

सकता है, किसी की जान को सीरियसली खतरे में

डाल सकता है, और इसका नतीजा कभी-कभी बेहद

शर्मनाक, दुखद और पछतावे से भरा हो सकता है.

लेकिन कुछ तरीके है जिनसे आप इन तरह के रीयेक्शन

को रोक सकते है.. इससे पहले कि हम यहाँ कुछ रियल

लाइफ एक्जाम्पल दे, आपको ये बात जाननी होगी

कि किसी भी दुसरे इमोशन की तरह गुस्से का भी कोई

कम्प्लीट इलाज़ नहीं है. इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया

जा सकता. आखिरकार कई बार कुछ फ्रस्ट्रेटिंग बातो में

इंसान को गुस्सा आ ही जाता है. मगर इम्पल्स में आकर

कुछ भी करने और सोच समझने के बाद एक्शन लेने के

बीच बहुत फर्क होता है. यहाँ कुछ ऐसी टेक्नीक्स है जो

एंगर कंट्रोल करने में यूज़ की जाती है.

1.      टाइम आउट-ये वाला तरीका सबसे ज्यादा पॉपुलर

है और शायद सबसे आसन भी. यहाँ ये जानना बहुत

ज़रूरी है कि आपको कब सबसे ज्यादा गुस्सा आता है

और जब ऐसा होता है तो स्लोली 10 तक काउंट करे.

इस तरह आप इम्पल्‍्स में आकर एक्शन लेने से बच

जायेगे और आपको सोचने का थोडा टाइम भी मिल

जाएगा कि आपको क्या करना चाहिए.

2. लोगो से कम एक्सपेकटेशन रखे - हम में से

ज्यादातर लोगो को गुस्सा इसलिये आता है क्योकि हम

लोगो से ज्यादा एक्सेपक्ट करते है , कि वो डिसीपिलनड

हो, सही एक्शन ले। लेकिन अगर हम ये मान के ही

चलेंगे की लोग ऐसा कुछ नही करने वाले तो हमारी

उनसे एक्सपेकटेशन कम ही होगी और इसलिये हमारे

पास गुस्सा करने की बहुत कम वजह रह जायेगी।

3 Assertive (असेटिव) कम्यूनिकेशन-इसका

मतलब है बिना कोई एग्रेसन दिखाए अपने और दुसरो

के राइट्स के लिए काम और पोजिटिव तरीके से खड़े

होने के काबिल बनना. इस तरह आप अपने एग्रेसन पर

काबू पा सकते है और इसे किसी कंस्ट्रक्टीव पर्पज में

यूज़ कर सकते है. असेटिंव कम्यूनिकेशन बहुत इम्पोर्टेट

है क्योंकि इसमें आपकी सारी एनर्जी का सही इस्तेमाल

होता है जो वर्ना यूँ ही बेकार चली जाती.

अब इन तीनो प्रीसीपलस का उदाहरण ले लेते है जिससे

हम इन्हे लाईफ में यूज कर सकते है।

एलेक्स को अपने गुस्से की आदत के चलते बहुत सी

प्रोब्लम्स थी. वैसे वो अक्सर शांत और अच्छा रहता था

मगर अपने काम को लेकर वो कुछ ज्यादा ही डिफेंसिव

हो जाता था. उसे इतना भी नहीं पता था कि खुले आम

किसी की इन्सल्ट करने और कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसाइज

 

में बहुत फर्क होता है. और ऐसे ही कुछ उलटे सीधे

सिचुएशन से गुजरने के बाद उसे फील हुआ कि कुछ

तो चेंज करना पड़ेगा. और अब जब भी उसे लगता है

कि कोई उसे फ़ालतू का लेक्चर देने वाला है तो बजाये

गुस्सा करने के वो अपने माइंड में धीरे-धीरे 10 तक

काउंट करता है. वो हर वर्ड पर जोर देता है बहुत स्लोली

और कुछ और नहीं सोचता. 10 या उससे ज्यादा सेकंड

बाद वो फिर से उस सिचुएशन को अप्रोच करता है मगर

एक डिफरेंट एंगल के साथ.

अगली बार एलेक्स जब पार्किंग में गाड़ी लगाने जा रहा

था कि तभी एक आदमी ने आकर उससे पहली अपनी

गाडी लगा दी. ऐसा नहीं था कि उस आदमी ने एलेक्स

को देखा ना हो पर उसने उसे कोई भाव नहीं दिया.

अगर कोई दूसरा मौका होता तो एलेक्स को गुस्सा आ

जाता वो शायद कुछ ऐसे सोचता” उसका क्या हक

बनता है कि वो मेरे साथ ऐसा करे ? ये कोई तरीका नहीं

है ! मगर यहाँ कुछ अलग था, उसे पता था कि लोगो

को सही बनने के लिए या सही करने के लिए फ़ोर्स नहीं

किया जा सकता. और अगर उसकी एक्सपेक्टेशन

कम होंगी तो ऐसी छोटी मोटी बातो पर उसे गुस्सा नहीं

आएगा.

फाइनली असेटिव कम्यूनिकेशन एक ऐसी चीज़ है जो

एलेक्स को बड़े काम की लगती है. अंदर ही अंदर अपने

गुस्से को पीते रहना काफी डेंजरस होता है. इससे कई

सारी प्रोब्लम्स आ सकती है जैसे अचानक से गुस्से का

पहाड़ टूट पड़ना, स्ट्रेस की वजह से बीमार पड़ जाना

वगैरह इसलिए अपनी बॉडी से गुस्सा बाहर निकलना

बेहद ज़रूरी है मगर एक कंट्रोल्ड और सबटल तरीके

से. जैसा हमने बताया कि एलेक्स ने इम्पल्स में आकर

एक्ट करने के बजाये एक टाइम आउट लेना चूज़ किया

जिससे वो 10 तक काउंट कर सके और जिस पर उसे

गुस्सा आ रहा है उसे कुछ भी कहने से पहले उसे थोडा

सोचने का टाइम मिल सके. मगर कई बार ऐसी भी

सिचुएशन आती है जहाँ लोगो की गलत हरकतों पर सच

में गुस्सा आता है. हालांकि बुरा बिहेवियर भी बहुत बार

अनकांशस होता है. लेकिन इन सिचुएशन में भी जहाँ

सामने वाला बेशक अन्प्लीजेंट है, आपका इम्पल्स में

आकर एक्ट करना गलत होगा. बजाये इसके एलेक्स

शांती से इंतज़ार करता है कि उसकी भी बारी आएगी

अपनी बात कहने के लिए और वो तब वो अपना बहुत

ही तरीके से दूसरे इन्सान को उसकी गलतियां बताता

और उन गलतियों को इम्प्रूव करने का मेथड भी यानि

असेरटिव कम्यूनिकेशन. और इस तरह वो अपनी बेड

एनर्जी को कंस्ट्रकटिव पर्पज के लिए यूज़ करता है.


हैलो, reader, ये बुक summary कैसा लगा और  अघिक बुक summary के लिए कॉमेंट करे, , जरूर, ताकि में आप के लिए और अघिक batter book summary ला सकूँ। 

This summary is make by help of gigl

Post a Comment

3 Comments

Thank you