इंट्रोडक्शन(introduction)
भारत की मेलोडी क्वीन
और हर दिल अज़ीज़ सिंगर
लता मंगेशकर हर जेनरेशन
की फेवरेट हैं! और हो भी
क्यों ना,अपनी सुरीली
आवाज़ के दम पर उन्होंने भारत
में ही नहीं बल्कि पूरी
दुनिया में अपना नाम रौशन
किया है. बहुत कम ऐसे
आर्टिस्ट होते है जिन्हें इतनी
शोहरत और ईज्जत नसीब
होती है. लगा मंगेशकर
भारत की पहली ऐसी सिंगर
भी हैं जिन्हें बाहर के देशों
में कॉन्सर्ट करने के
लिए इनवाईट किया गया था!
तो आइए जानते है सदाबहार
आवाज़ की मल्लिकालता
मंगेशकर की जिंदगी के
बारे में जो सन 1950 से लेकर
आज तक भी इन्डियन फिल्म
इंडस्ट्री की लीडिंग फीमेल
प्लेबैक सिंगर रही है
और इस लंबे अर्से में उन्होंने फिल्म
इंडस्ट्री में जो योगदान
दिया है वो हमेशा के लिए अमर
रहेगा.
इस समरी में हम जानेंगे
कि कैसे लता जी अपने टैलेंट
के दम पर भारत की सबसे
उम्दा सिंगर बनकर उभरी
और आज भी एक मिसाल बनी
हुई हैं!
शुरूआती जीवन
लता मंगेशकर का जन्म
28 सेप्टम्बर,1929 में इंदौर
शहर यानि आज के मध्य
प्रदेश में हुआ था. उनके पिता
थे पंडित दीनानाथ मंगेशकर
और माँ का नाम था शेवंती.
लता के पिता मराठी और
कोंकणी के संगीतकार और
कलाकार थे और उनकी माँ
जिनका नाम शादी के बाद
बदलकर सुधामति रख दिया
गया था, गुजराती थी.
शेवंती दीनानाथ की दूसरी
पत्नी थी. उनकी बड़ी बहन
नर्मदा की शादी पहले
दीनानाथ से हुई थी पर 1927
में नर्मदा के गुज़र जाने के बाद दिनानाथ जी की शादी
उनसे कर दी गई. शेवंती
और दीनानाथ के पांच बच्चे
हुए.
लता के दादाजी गणेश भट
नवाथे हार्दीकर एक पुजारी
थे जो गोवा के एक मंदिर
में देवताओं के अभिषेक
करवाने का काम करते थे.
लता के नाना सेठ हरिदास
रामदास लाड एक गुजराती
बिजनेसमेन थे. उनके शहर
में साठ घर थे और वो
एक बड़े से बंगले में रहा करते
थे जिसके बाहर दिन-रात दो पठान पहरा देते थे. लता
बचपन से ही अपनी नानी
की लाडली थी. वो अपनी
नन्ही सी दोयती लता को
गुजराती लोक गीत जैसे गरबा
सिखाया करती थीं. वैसे
तो परिवार का असली सरनेम
था हार्दीक़र पर लता
के पिता दीनानाथ ने बाद में
अपना सरनेम अपने जन्म
स्थान मंगेशी, गोवा के नाम
पर मंगेशकर रख लिया.
लता के जन्म के समय उनका
नाम हेमा रखा गया
था पर उनके पिता के एक नाटक के फिमेल केरेक्टर
लतिका के नाम पर उन्होंने
उन्हें लता कहकर बुलाना
शुरू कर दिया. इस नाटक
का नाम था भावबंधन. लता
अपने भाई-बहनों में सबसे
बड़ी हैं. उनके बाद उनकी
तीन छोटी बहने, मीना,
आशा और उषा थी और एक
छोटा भाई हृदयनाथ. सारे
भाई-बहन बचपन से ही
गाना सीखने लगे और सुर-ताल
के बड़े पक्के थे. बाद में
हृदयनाथ फ़िल्मों में
म्यूजिक डायरेक्टर भी बने. लता
संगीतकारों के परिवार
में पली-बढ़ी थी जहाँ संगीत और
कला की पूजा होती थी
. इस माहौल का लता के मन पर
गहरा असर पड़ा. महज़
चार साल की छोटी उम्र से ही
लता के पिता उन्हें संगीत
सिखाने लगे थे. संगीत सीखने
के अलावा वो अपने पिता
के नाटकों में भी काम करती
थी.
स्कूल के पहले ही दिन
लता स्कूल छोड़कर घर लौट
आई थीं. हुआ यूं किवो
अपनी दस महीने की बहन
आशा को अपने साथ स्कूल
ले गई जिस पर स्कूल वालो
ने सख्त एतराज़ जताया
और लता को ये बात नागवार
गुज़र गई कि वो अपनी
छोटी बहन को स्कूल नहीं ले जा
सकती, बस फिर क्या था
उन्होंने स्कूल ही छोड़ दिया
और इस तरह लता की स्कूली
पढ़ाई कभी शुरू नहीं
हो पाई. कुछ और सोर्सेज़
से पता चलता है कि लता
इसलिए स्कूल वापस नहीं
गई क्योंकि वो दूसरों बच्चो
को म्यूज़िक सिखा रही
थी और टीचर्स उन्हें ऐसा करने
से रोक रहे थे. असल में
लता अपने छोटे भाई-बहनों
ने बेहद प्यार करती थी
और हर वक्त उनके साथ रहना
चाहती थी. खैर बाद में
उनके नौकर ने उन्हें थोडा-बहुत
पढ़ना-लिखना सिखा दिया
था. बचपन में लता को
साईकल की सवारी करना
पसंद था पर उनके पास
साईकल नहीं थी. उन्होंने
नौ साल की उम्र में अपना
पहला सिंगिंग परफोर्मेंस
दिया था. सिंगिंग को लेकर वो
हमेशा से ही काफी उत्सुक
रही थीं.
UNIT:2
सिंगिंग
करियर के शुरूआती दिन
लता जब 15 साल
की हुई तो उनके पिता
चल बसे.
उन्हें दिल की
बीमारी थी. उनके
जाने के बाद मास्टर
विनायक जो एक
मूवी कंपनी के
ओनर और उनके पिता
के दोस्त भी
थे, उन्होंने लता
के परिवार की
जिम्मेदारी
अपने सिर ले
ली. वो लता को सिंगिंग
और एक्टिंग में
करियर बनाने के
लिए सपोर्ट और
एनकरेज किया करते
थे. 1942 में
लता को पहली बार एक
मराठी पिक्चर में
गाने का मौका
मिला. ये पिक्चर
थी किती हसाल
और
गाना था"नाचूयागड़े, खालूसारीमणिहौसभारी"
लेकिन
ऐन मौके पर
फाइनल कट में उस गाने
को फिल्म से
हटा दिया गया.
फिर उसी साल मास्टर विनायक
ने लता
को अपनी मूवी
पहिली मंगला गौर
में एक छोटा सा रोल
दिया. उसके एक
साल बाद लता ने एक
मराठी मूवी के
लिए अपना पहला
हिंदी गाना गाया,
गाने के बोल थे”
माता एक सपूत
की दुनिया बदल
दे तू!
मास्टर विनायक का
हेडक्वाटर बंबई यानि
आज के
मुंबई में शिफ्ट
हुआ तो लता का परिवार
भी मुंबई चला
आया. ये सन
1945 की बात थी. मुंबई आकर
लता ने
आगे की संगीत
शिक्षा के लिए उस्ताद अमन
अली से
हिन्दुस्तानी
क्लासिकल म्यूज़िक की ट्रेनिंग
लेनी शुरू
कर दी. मास्टर
विनायक की पहली हिंदी मूवी
बड़ी माँ
में लता और
उनकी छोटी बहन
आशा को भी छोटा सा
रोल दिया गया,
लता ने इस मूवी के
लिए एक भजन
भी गाया था. 1948 में मास्टर विनायक
भी इस दुनिया
को अलविदा कह
गए और लता को एक
बार फिर गहरा
सदमा लगा क्योंकि
बहुत कम उम्र में अपने
पिता को
खोने के बाद
लता ने मास्टर
विनायक को ही अपने पिता
और गुरु के
रूप में देखा
था,
विनायक की मौत
के बाद लता को एक
गुरु के रूप में
म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर
मिले जिन्होंने लता
की
मुलाक़ात प्रोड्यूसर शशधर मुखर्जी
से एक नई उभरती
हुई सिंगर के
तौर पर करवाई.
लेकिन मुखर्जी ने
ये
कहते हुए लता
को रिजेक्ट कर
दिया कि उनकी आवाज़
बेहद पतली है.
गुलाम हैदर इस बात पर
बड़े नाराज़ हुए
और उन्होंने अनाउंसमेंट कर
दी कि आने वाले वक्त
में
म्यूजिक डायरेक्टर और प्रोड्यूसर
लता के घर के सामने
लाईन लगाकर खड़े
होंगे. लता को अपना पहला
बड़ा
ब्रेक मिला फिल्म"
मजबूर" में जिसमे
उनका गाना था”
दिल मेरा तोड़ा,
मुझे कहीं का नहीं छोड़ा”. लता आज
भी गुलाम हैदर
का शुक्रिया अदा
करती है जिन्होंने
उन
पर भरोसा दिखाया
और उन्हें संगीत
की तालीम दी.
वो
गुलाम हैदर को
अपना गॉडफादर मानती
है.
लता ने अपने
एक इंटरव्यू में
बताया था कि करियर के
शुरुवाती दौर में
उन्हें जानी-मानी
लेजंडरी सिंगर नूर
जहाँ की तरह
गाने को कहा गया था
. लेकिन कुछ ही
सालो में उन्होंने
खुद का अपना सिंगिंग स्टाइल डेवलप
कर लिया. एक्टर
दिलीप कुमार ने
एक बार लता के उर्दू
शब्दों को बोलने
पर कुछ कमियाँ
निकाली थीं. उसके
बाद लता मंगेशकर
ने एक उर्दू
टीचर शफी से उर्दू की
बाकायदा ट्रेनिंग ली. नूरजहाँ
ने जब कमउम्र
लता का
गाना सुना तो
वो बड़ी इम्प्रेस
हुई और उन्होंने
लता को
सलाह दी कि
वो हमेशा ऐसे
ही गाती रहे.
दोनों सिंगर
अच्छी दोस्त थी
और सालों तक
एक-दूसरे के
टच में
रही. लता के
करियर के शुरुवाती
दौर में ही उनके कुछ
गाने काफी हिट हुए जिनमें
से एक था महल पिक्चर
का” आएगा आएगा, आएगा आने वाला आएगा”. महल
पिक्चर 1949 में रीलीज़
हुई थी और मधुबाला जो इस
फिल्म में लीड रोल में
थी, उन पर ये गाना फिल््माया
गया था.
सिंगिग करियर 1950 से 1970 के
बीच
1950 का दशक वो दौर था
जब लता मंगेशकर ने उस
वक्त के सारे मशहूर म्यूज़िक
डायरेक्टर्स के गाने गाए थे.
इनमे अनिल बिश्वास, शंकर
जयकिशन, नौशाद अली,
एस. डी. बर्मन, अमरनाथ
जैसी महान हस्तियों के नाम
शामिल है. उन्होंने एक
श्रीलंकन फिल्म “सेदा सुलंग" में
भी एक गाना गया था जोकि
सिंहली भाषा में था और
गाने के बोल थे” श्रीलंका मा प्रियादारा जया भूमि".
लता ने तमिल फ़िल्मों
में भी अपनी आवाज़ दी. तमिल
फिल्म” वनराधम'” में उन्होंने अपना पहला गाना गाया
था जिसके बोल थे"
एंथन क्न््न्लन”, इस महान
अदाकारा के सामने भाषा
की बंदिश जैसी कोई चीज़
मायने नहीं रखती थी.
लता ने हिंदी के अलावा, उर्दू,
तमिल, सिंहली और कई और
रीज़नल भाषाओं में गाने
गाए . उन्होंने नौशाद
जैसे महान म्यूज़िक डायरेक्टर के
साथ कई बार काम किया
और उनके अंडर में कई राग
पर बेस्ड गाने भी गाए
जो हिंदी क्लासिकल म्यूज़िक के
गाने माने जाते है.
लता ने जिन फ़िल्मों
में प्लेबैक दिया था उनमें से
कुछ जानी मानी फिल्में
हैं: बैजू बावरा, अमर, उड़न
खटोला और मदर इण्डिया.
उस वक्त की सबसे फेमस
म्यूज़िक डायरेक्टर की
जोड़ी थी शंकर-जयकिशन की
जिन्होंने कई फिल्मों
में लता से गाने गवाए, जैसे कि
बरसात, आह, श्री 420
और चोरी. एस. डी. बर्मन जो
अपने वक्त के बड़े मशहूर
म्यूजिक डायरेक्टर थे, उन्होंने
भी अपनी कई फिल्मों में
लीड सिंगर के तौर पर लता
को ही चुना जैसे सज़ा,
हाउस नंबर 44 और देवदास,
फिर 1957 के दशक में
लता और बर्मन के बीच कुछ
तनातनी हो गई जिसके चलते
लता ने उनके साथ 1962
तक फिर काम नहीं किया.
इसी दौर में लता को प्लेबैक
सिंगिंग के लिए फिल्मफेयर
अवार्ड भी मिला. मुगले
आज़म में उनका गाना” जब प्यार किया तो डरना किया”
आज भी लोगों को बखूबी
याद है. ये फ़िल्ममुगल
शहज़ादे सलीम और शाही
दरबार की एक मामूली
नाचने वाली अनारकली के
प्यार पर बनाई गई थी
जिसमें मधुबाला और दिलीप
कुमार लीड रोल में थे.
लता का एक और बड़ा पोपुलर
गाना था”अजीब दास्ताँ
है ये” जिसे कंपोज़ किया था शंकर-जयकिशन ने और ये
गाना फिल््माया गया
था मीना कुमारी पर. लता सफलता
की उंचाइयो को छू रही
थी जिसके चलते उन्हें अपने
गाने” कहीं दीप जले कहीं दिल” के लिए एक और
फिल्मफेयर अवार्ड मिला.
1962 में भारत-चाइना युद्ध
के वक्त लता का एक देशभक्ति
गीत रिलीज़ हुआ" ए
मेरे वतन के लोगों".
लता ने ये गाना देश के पहले प्राइम
मिनिस्टर जवाहर लाल नेहरू
के सामने गाया था जिसे
सुनकर नेहरूं जी की आँखों
में आँसू आ गए थे.
इसी दौर में लता और एस.
डी. बर्मन के बीच की तकरार
भी खत्म हो गई और 1963
में दोनों ने एक बार फिर
साथ काम किया. 1960 में
लता ने एक और मशहूर
कंपोजर जोड़ी लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल
के लिए गाना शुरू
किया, लता मंगेशकर और
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की
जोड़ी ने 35 सालों में
करीब 700 से भी ज्यादा गाने
रिकॉर्ड किए. अपने खूबसूरत
गानों की बदौलत लता को
अपना तीसरा फिल्मफेयर
अवार्ड भी मिला. 1967 में
लता ने कन्नड भाषा में
अपना पहला गाना गाया जिसे
लोगों ने खूब सराहा था.
लता ने फिल्म इंडस्ट्री
के लगभग सभी महान गायकों
के साथ गाने गाए जैसे
किशोर कुमार, मोहम्मद रफी,
मुकेश और मन्ना डे. उनकी
ज़िंदगी में एक छोटा सा दौर
ऐसा भी आया जब लता और
रफी के बीच कुछ अनबन
हो गई थी. लता गानों
की रॉयल्टी के लिए 50% शेयर
डिमांड कर रही थीं और
चाहती थीं कि रफ़ी उन्हें सपोर्ट
करे लेकिन रफ़ी को लगा
था कि लता ने शायद गाने की
फीस को स्वीकार कर लिया
है. बस इसी बात पर दोनों
के बीच गलतफहमी पैदा
हो गई और दोनों ने एक-दूसरे
के साथ गाने से इनकार
कर दिया. फिर जब म्यूजिक
डायरेक्टर जयकिशन ने
उनके बीच सुलह कराई तब
जाकर बात बनी.
UNIT:3
सिंगिंग करियर 1970 से 1990 तक
1970 में मीना कुमारी
की आखरी फिल्म आई थी.
एस. डी, बर्मन की भी
आखरी फ़िल्म रीलीज़ हुई थी.
इन दोनों की ज्यादातर
फ़िल्मों के गाने लता मंगेशकर
ने ही गाए थे जो बहुत
मशहूर हुए थे. इन गानों में से ”
चलते चलते, इन्हीं लोगों
ने, रंगीला रे, खिलते हैं गुल
यहाँ और पिया बिना"जैसे
गानें लोगों ने खूब पसंद
किए जिन्हें आज भी लोग
बड़े चाव से सुनते है.1970
में लता मंगेशकर के कई
और गाने फेमस हुए जिन्हें
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
ने कंपोज़ किया था.
इन गानों में से कुछ थे” शीशा हो या दिल हो” हम को
भी गम ने मारा, मेरे
नसीब में”, वगैरह-वगैरह. तीन-तीन
फिल्मफेयर अवार्ड जीतने
के बाद लता मंगेशकर को
साल 1973 में अपना पहला
नेशनल अवार्ड मिला.
उन्हें” बीती ना बिते रतिया" गाने के लिए बेस्ट प्लेबैक
सिंगर का अवार्ड मिला
था. उन्होंने एक मलयालम गाना
भी गया और उसके बाद उन्हें
एक और नेशनल अवार्ड
मिला. ये दूसरा अवार्ड
उन्हें अपने गाने” रूठे रूठे पिया”
के लिए मिला था. जनता
में लता के गाने धूम मचा रहे
थे इसलिए भारत में और
बाहर के देशों में भी उनके
कंसर्टहोने लगे. लता
कई चैरीटी शोज से भी जुडी रही.
भारत से बाहर उनका पहला
कॉन््सर्ट लन्दन के रॉयल
अल्बर्ट हॉल में हुआ.
इस तरह वो पहली भारतीय बनी
जिन्होंने बाहर के देशों
में कॉन्सर्ट की शुरुवाती की.
उनके भारी हृदयनाथ मंगेशकर
ने भजन की एक एल्बम
निकाली थी जिसमें लता
ने अपनी आवाज़ दी थी.
लता के कई नॉन-फिल्म
एलबम भी निकले. लता की गाई गजलों, मराठी लोक गीत और कुछ भगवान् के
गानों के कलेक्शन भी
रिलीज़ हुए. 1978 में राज
कपूर ने 'सत्यम शिवम
सुंदरम' फिल्म डायरेक्ट की
थी. कहा जाता है कि इस फिल्म की कहानी लता से
इंस्पायर्ड थी जैसा कि
बाद में राजकपूर की बेटी ने
खुलासा किया था. फिल्म
का हीरो एक लड़की की
खूबसूरत आवाज़ सुनकर
उससे प्यार कर बैठता है.
लता ने इस फिल्म का मेन
थीम सोंग गाया था .1970
के आखिरी और 1980 के शुरुवाती
दशकों में लता
अब उन म्यूज़िक डायरेक्टर्स के साथ काम कर रही
थी जिनके पिता कभी बतौर म्यूजिक डायरेक्टर लता
के साथ काम कर चुके थे. इसमें आर. डी. बर्मन ,
राजेश रौशन और अनु मालिक जैसे नाम शामिल थे.
कई भाषाओं में गाने के
बाद लता ने आसमीज़ में भी
एक गाना गया. 980 का
दशक वो दौर था जब लता
मंगेशकर नई पीढ़ी के
म्यूज़िक डायरेक्टर्स के साथ काम
कर रही थी जिनमें शिव-हरी
और रमन-लक्ष्मण जैसे नए
लोग भी थे. इसी जमाने
में उनका एक चार्टबस्टर रीलीज़
हुआ था” जू जू जू यशोदा",
बप्पी लहिरी जैसे पोपुलर इन्डियन सिंगर और कम्पोजर
ने लता के लिए कई गाने
कम्पोज़ किए. 985 में लता
मंगेशकर को यूनाईटेड
वे ऑफ़ ग्रेटर टोरोंटो ने मेपल
लीव्स गार्डन्स, कैनेडा
में परफोर्म करने के लिए इनवाईट
किया. कैनेडीयन सिंगर
एन मरे (Anne Muray)
ने लता से रिक्वेस्ट की कि वो उनका गाना” यू नीडेड
मी” गाए. लता ने बेहद खूबसूरती से इस गाने को कवर
किया था. ऑडियंस में
करीब बारह हज़ार लोग मौजूद
थे और इस इवेंट से
50,000 यू, एस. डॉलर की कमाई
हुई थी और ये सारा पैसा
चैरिटी को दे दिया गया.
UNIT : 4
सिंगिंग करियर 1990 से
2010 तक
990 के दशक में लता मंगेशकर
को जतिन-ललित,
अनु मलिक, ए. आर. रहमान,
आनंद-मिलिंद,
नदीम-श्रवण जैसे टेलेंटेड
डायरेक्टर्स के साथ काम
करने का मौका मिला. यही
वो दौर था जब उन्होंने कई
नॉन फ़िल्मी गाने रेकॉर्ड
किए और जगजीत सिंह जैसे
फेमस सिंगर के साथ उनके
गज़ल के एल्बम भी रीलीज़
हुए. लता को उस दौर के
कई नौजवान सिंगर्स के साथ
भी काम करने का मौका
मिला जिनमें सोनू निगम,
उदित नारायण, कुमार शानू,
अभिजीत भट्टाचार्या,
अमित कुमार और मुह्ह्म्द
अज़ीज़ जैसे नाम शामिल है.
1990 में लता मंगेशकर
ने फ़ैसला किया कि वो अपना
खुद का प्रोडक्शन हाउस
लॉन्च करेंगी और हिंदी फिल्में
प्रोड्यूस करेंगी.
उनकी प्रोडक्शन हाउस
में फिल्म”लेकिन” बनी थी
जिसके डायरेक्टर थे गुलज़ार.
फिल्म के गाने”यारा
सिली सिली” जिसे उनके भाई ने कंपोज़ किया था, के
लिए लता को अपना तीसरा
नेशनल अवार्ड मिला. लता
मंगेशकर ने यश चोपड़ा
और उनके प्रोडक्शन हाउस की
लगभग सभी फिल्मों के
गाने गाए .लता की कुछ फिल्में
आज भी बेहद पोपुलर है
जिनमें 'दिलवाले दुल्हनियां ले
जायेंगे, चांदनी, लम्हे,
डर, दिल तो पागल है, मोहब्बतें,
वीर-जारा और मुझसे दोस्ती
करोगे' बेहद पोपुलर फ़िल्में
थी. ग्लोबल आईकन ए. आर.
रहमान ने भी लता के
साथ कुछ गाने रेकॉर्ड
किए हैं इनमें " जिया जले, लुका
छुपी और एक तू ही भरोसा” जैसे सुपरहिट गाने शामिल
है
1994 में, लतामंगेशकर
ने "श्रद्धांजलि -
माईट्रिब्यूटटूदडम्मोर्टल्स"
नाम का एक एल्बम रिलीज़
किये ।ये एल्बम लता ने
अपने साथी कलाकारों मोहम्मद
रफ़ी, किशोर कुमार, मुकेश
जैसे महान गायकों को
श्रद्धांजलि दी थी .1999 में एक परफ्यूम ब्रांड ने लता
के नाम पर” लता यू डे परफ्यूम' नाम से एक परफ्यूम
भी लॉन्च किया. इसी साल
लता को लाइफटाइम
अचीवमेंट के लिए ज़ी
सिने अवार्ड भी मिला. बाद में
लतामंगेशकर पॉलिटिक्स
में भी आई और उन्हें राज्य
सभा का मेंबर नोमिनेट
किया गया. हालाँकि वो कभी
रेगुलर नहीं रही जिसके
चलते कुछ हॉउस मेंबर्स ने
उन्हें क्रिटिसाईज़ भी
किया पर लता ने अपनी सफाई में
कहा था कि उनकी तबियत
ठीक नहीं रहती इसलिए
वो रेगुलर नहीं आ पाती
है. हालाँकि वो मेंबर ऑफ़
पार्लियामेंट होने के
तौर पर कोई सैलरी नहीं लेती है.
2001 में लता को इण्डिया
के सबसे ऊँचें सिविलियन
अवार्ड भारत रत्न' से
नवाज़ा गया और इसी साल
लता ने पुणे में एक हॉस्पिटल
की नींव भी रखी. आज
ये हॉस्पिटल लता मंगेशकर
मेडिकल फाउंडेशन की
देख-रेख में चल रहा है.
2005 में लता ने एक ज्यूलरी
कलेक्शन भी डिजाईन किया
जिसे स्वरांजली नाम
दिया गया था. इसे एक
इन्डियन कंपनी अडोरा ने लॉन्च
किया था. ऑक्शन से जो
कमाई हुई थी उसका एक
हिस्सा 2005 के कश्मीर
अर्थक्वेक रीलीफ फंड के
लिए दान किया गया. लता
के गाए गाने हॉलीवुड भी
पहुंचे. जब उनके एक गाने'
वादा ना तोड़ तू वादा ना
तोड़” को “इटरनल सनशाईन ऑफ द स्पॉटलेस माइंड”
में बैकग्राउंड म्यूज़िक
के तौर पर इस्तेमाल किया गया.
इस फिल्म में जिम कैरी
और केट विंसलेट लीड रोल में
थे. 2012 में लता ने
अपना म्यूजिक लेबल”एलएम”
लॉन्च किया. इसमें उन्होंने
अपनी छोटी बहन उषा के
साथ भजन की एल्बम निकाली
थी.
UNIT:5
बंगाली करियर, नॉन सिंगिंग करियर और पर्सनल लाइफ
लता मंगेशकर ने बंगाली
सिनेमा में भी अपना करियर
बनाया था. जहाँ उन्होंने
बंगाली भाषा में 85 गाने
गाए . उनका पहला डेब्यू
बंगाली गाना था” प्रेम
एकेबारी एश्वीलो नैरोबी".
हिंदी, उर्दू, मराठी, कन्नड,
एसमीज़, सिंहली और मलयालम
में गाने के बाद उन्होंने
एक के बाद एक हिट बंगाली
गाने गाए . लता ने दूसरे
सिंगर्स के साथ भी कोलाब्रेशन
में गाने गाए . अपनी
छोटी बहनों आशा और उषा
के अलावा उन्होंने मोहम्मद
रफी, महेंद्र कपूर, सुकेश,
हेमंत कुमार, किशोर कुमार
और मत्रा डे के साथ भी
ड्यूएट गए . आज इनमे से
ज्यादातर सितारे दुनिया
छोड़कर जा चुके है.
1976 में मुकेश की डेथ
हुई थी और साल 1980 भी
लता के लिए कुछ कम चलेंजिंग
नहीं था जब मोहम्मद
रफ़ी और किशोर कुमार
की मौत हुई थी. मोहम्मद रफ़ी
का आखरी डूएट् गाना लता
के साथ ही था. 1990
में लता ने उदित नारायण,
कुमार शानू, अभिजित
भट्टाचार्य, पंकज उधास
और सुरेश वाडकर के साथ
भी डूएट गाने गाए . उनका
सबसे फेमस काम 1990
में आई मूवी 'दिलवाले
दुल्हनिया ले जायेंगे” का माना
जाता है जिसमें शाहरुख
और काजोल लीड रोल में
थे. इस फिल्म के कुछ
हिट गानों थे” मेरे ख़्वाबों में जो
आए, हो गया है तुझको
तो प्यार सजना, तुझे देखा तो
ये जाना सनम, और मेंहदी
लगा के रखना”,
साल 2000 में लता ने
सोनू निगम और उदित नारायण
के साथ भी एक से बढ़कर
एक हिट गाने दिए. गाना तो
उनका पैशन है ही साथ
ही लता ने म्यूजिक डायरेक्शन
और प्रोडक्शन में भी
हाथ आज़माया. 1995 में लता
ने पहली बार एक मराठी
फिल्म के लिए गाने कम्पोज़
किए. शायद बहुत कम लोग
इस बात से वाकिफ होंगे
कि लता ने 1960 के दशक
में आनंद घन नाम से
कई मराठी फिल्मों के
लिए म्यूजिक कंपोज़ किया था.
उनका म्यूजिक डायरेक्शन
का करियर काफी अच्छा
रहा जिसके चलते उन्हें
महाराष्ट्र स्टेट गवर्नमेंट का बेस्ट
डायरेक्टर अवार्ड भी
मिला और उनकी उसी फ़िल्म को
बेस्ट सोंग का अवार्ड
भी मिला था. लता मंगेशकर ने
अपने प्रोडक्शन हाउस
तले चार हिंदी फ़िल्में और एक
मराठी फ़िल्म भी प्रोड्यूस
की. हिंदी फिल्मे थी” झांजर,
कंचन गंगा, लेकिन' और
मराठी फिल्म का नाम था”
वंदल",
आज सारी दुनिया लता मंगेशकर
को मेलोडी क्वीन
के नाम से जानती है.
उन्होंने कभी शादी नहीं की.
हालाँकि अपने भाई के
अच्छे दोस्त और बीसीसी के
प्रेसिडेंट रह चुके,
राज सिंह के साथ उनके रिश्ते हमेशा
चर्चा में रहे. दोनों
एक-दूसरे को पसंद करते थे और
शादी करना चाहते थे पर
ये शादी नहीं हो पाई, हालाँकि
दोनों हमेशा अच्छे दोस्त
बने रहे. दरअसल राज सिंह
शाही परिवार से थे और
उनका परिवार इस शादी के
खिलाफ था. लता अक्सर
कहा करती थी कि उनके
पिता की मौत के बाद उन
पर अपने छोटे-भाई बहनों की
जिम्मेदारी आ गई थी इसलिए
उन्हें अपना घर बसाने
का मौका ही नहीं मिला.
हालाँकि सच क्या है ये कोई
नहीं जानता.
अवार्ड औरगिनीज़ का विवाद
लता मंगेशकर ने अपनी
जिंदगी में ढेरों अवार्ड जीते है
जिसमें भारत के सर्वोच्च
नागरिक सम्मान भारत रत्न,
पद्म भूषण, पद्म विभूषण
के अलावा ज़ी सिने अवार्ड
फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट,
दादा साहब फाल्के अवार्ड,
लिजियन ऑफ़ ऑनर जैसे
अवार्ड शामिल है. अपने
प्लेबैक सिंगिंग के लिए
उन्होंने तीन बार नेशनल अवार्ड
मिल चुके है. साथ ही
उन्हें चार फिल्मफेयर अवार्ड भी
मिले है. 1969 में जब
उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल
प्लेबैक सिंगर का अवार्ड
मिला तो लता ने यंग टेलेंट को
बढ़ावा देने के लिए ये
अवार्ड वापस दे दिया.
बाद में 1993 में लता
को अपनी पूरी लाइफ इतनी
मेहनत से काम करने के
लिए फिल्मफेयर का
लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
दिया गया. इस लेजेंडरी
सिंगर को सम्मान देने
के लिए मध्य प्रदेश स्टेट गवर्नमेंट
ने लता मंगेशकर अवार्ड
क्रिएट किया. बाद में महाराष्ट्र
गवर्नमेंट ने भी लता
के नाम पर एक अवार्ड रखा.
2009 में लता मंगेशकर
को फ्रांस का हाएस्ट ऑर्डर
“लिजियन ऑफ़ ऑनर दिया गया.
क्लासिकल सिंगर
उस्ताद बड़े गुलाम अली
खान ने एक बार कहा था' लता
कभी बेसुरी नहीं हुई".
2012 में आउटलुक इण्डिया के ग्रेटेस्ट इण्डियन पोल
में लता को टॉप 0 में जगह मिली. यही नहीं गिनीज
बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स
में उनका नाम हिस्ट्री में सबसे
ज्यादा रिकार्डेड आर्टिस्ट
के तौर पर शुमार किया गया
है. ये माना जाता है
कि उन्होंने करीब 20 से ज़्यादा
भाषाओं में 25,000 से
भी ज्यादा सोलो, डुएट और
कोरस गाने गाए हैं. ये
रिकॉर्ड का विरोध मोहम्मद रफी
ने किया था जिनका दावा
था कि उन्होंने लता से ज्यादा
यानि 28,000 के करीब
गाने गाए है. लेकिन मोहम्मद
रफी की मौत के बाद गिनीज़
बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स
में दोबारा लता का नाम
मोस्ट रिकार्डेड आर्टिस्ट के तौर
पर दर्ज़ कर लिया. और
इस तरह रफी का क्लेम रिजेक्ट
हो गया. बुक के बाद के
एडिशन में ये दावा किया गया
कि लता ने 30,000 से
कम गाने नहीं गाए होंगे.
7991। के बाद गानों की एंट्री बंद कर दी गई जिसकी
कोई वजह नहीं बताई गई
थी. फिर भी कुछ लोगों का
ये तक मानना है कि लता
ने 50,000 से भी ज्यादा
गाने गाए हैं लेकिन सारे
दावे खारिज कर दिए गए.
लोग कहते है कि ये सारे
फिगर बढ़ा-चढ़ा कर बताये
गए है और लता ने 199। तक 5025 से ज्यादा गाने
नहीं गाए होंगे. लता
से जब इस बारे में पूछा गया तो
उनका कहना था कि उन्होंने
कभी भी हिसाब नहीं रखा
कि उन्होंने कितने गाने
गाये थे. साथ ही उन्होंने ये भी
कहा कि उन्हें नहीं मालूम
कि गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड
रिकार्ड्स के पास ये
इन्फोर्मेशन कहाँ से आई.
20ा। में बुक में एंट्री
चेंज कर दी गई और लता की बहन
आशा भोंसले को सबसे ज्यादा
गाने रिकॉर्ड करने का
क्रेडिट दिया गया. उन्होंने
अपने 20 सालों के करियर
के दौरान करीब ,11,000 सोलो,
डुएट और कोरस
गाने गाये थे. खैर, इस कैटेगरी की करंट रिकॉर्ड होल्डर
है पुल्पाका सुशीला जो
एक साउथ इन्डियन प्लेबैक
सिंगर है और उन्होंने
6 अलग भाषाओं में क7,695
गाने रिकॉर्ड किये है.
हालाँकि इसमें उन शुरूआती
रिकॉर्डिग्स को काउंट
नहीं किया गया है जो ज्यादातर
खो चुके हैं.
5 Comments
Good👍,
ReplyDeleteIt is very important information regarding Lata mangeshkar . Lata Mangeshkar is great personality in India cenama.❤️🙏🙏
ReplyDeleteIt is very important information regarding Lata mangeshkar . Lata Mangeshkar is great personality in India cenama.❤️🙏🙏
ReplyDeleteI love last di
ReplyDeletelata di
ReplyDeleteThank you