हाँ, reader आप को part काफी अच्छा लगा होगा,अगर आप अभी तक नहीं raed किये
तो अभी read करे.
UNIT 3
द वर्ल्ड वार (The World War)
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1914 के हिस्टोरिकल इवेंट्स लोगो पर ज़बरन नहीं थोपे
गए थे. इन फैक्ट हम बोल सकते है कि फर्स्ट वर्ल्ड वार
पब्लिक की ही चॉइस थी. उस टाइम पर लोग किसी
भी तरह अनसर्टेनिटी से छुटकारा चाहते थे. सवाल ये
नहीं था कि कौन जीतेगा, ऑस्ट्रिया या सर्बिया. सवाल
था कि क्या हम वाकई में एक जर्मन नेशन बना पायेंगे.
दो मिलियन सोल्जेर्स मरते दम तक झंडे की हिफाजत
करने को तैयार थे. मै अपने घुटनों पे गिर के हेवन की
तरफ देख रहा था. मुझे इतनी ख़ुशी हुई कि बयान नहीं
कर सकता कि मै इस वक्त में पैदा हुआ हूँ.
लोगो के बीच हमारे नेशन के स्टेट अफेयर्स को लेकर
बड़ी अनसर्टेनिटी थी. लोगो में एक स्ट्रोंग अर्ज थी कि
ऐसा स्ट्रगल हो जिससे सब कुछ हमेशा के लिए बदल
जाए. और इसके लिए ऑस्ट्रिया सर्बिया का पीसफुल
रेजोल्यूशन काफी नहीं था. आर्कड्यूक फ्रेंकिस फर्डीनांड
(Archduke Francis Fardhinand ) के मर्डर
की खबर म्यूनिख में वाइल्ड फायर की तरह फ़ैल गयी
थी और मुझे तभी श्योर हो गया कि अब लड़ाई छिड़ेगी.
अब ये सिर्फ ऑस्ट्रिया और सर्बिया के बीच का मामला
नहीं है बल्कि जेर्मनी के सेल्फ प्राइड की लड़ाई बन चुकी
है.
ये वार हमारे नेशन का फ्यूचर बदल कर रख देगी. अगर
जर्मनी जीतता है तो ये दुनिया का मोस्ट पॉवरफुल नेशन
बन जायेगा. इसलिए अब हर जर्मनी की सिक्योरिटी
और पहचान दांव पे लगी थी. मै अपने देश के लिए
अपने एन्थूयाज्म को प्रूव करना चाहता था. सिर्फ बातो
में नहीं बल्कि एक्शन से. मैंने हिज़ मजेस्टी को एक
पेटीशन लिखा कि मुझे बवेरियन आर्मी ज्वाइन करने की
परमिशन दी जाए. और अगले दिन ही लैटर का जवाब
पाकर मै खुश हो गया. लैटर खोलते टाइम मेरे हाथ काँप
रहे थे. मुझे अप्रूवल मिल गयी थी. तुरंत मुझे बवेरियन
बैरेक्स में एंट्री मिल गयी. मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं
रहा. ये मेरी लाइफ का ग्रेटेस्ट टाइम था.
मैंने मिलिट्री ट्यूनिक पहनी जो मुझे अगले 6 सालो तक
पहननी होगी. बड़ी दमदार आवाज़ में मैंने नेशनल एंथम
गाया. आज मुझे अपनी कंट्री के लिए कुछ कर दिखाने
का मौका मिला था. फिर एक रात बेहद ठंड थी जब
मैंने अपने कामरेड्स के साथ फ्लान्डेर्स (Flanders )
के लिए मार्च किया. “जर्मनी, जर्मनी सबसे उपर, सारी
दुनिया में सबसे उपर". हम जोर-जोर से नारे लगाते जा
रहे थे. गनफायर का साउंड हवा में गूँजने लगा. हम
टीनएजर्स की तरह निकले थे और चार दिन बाद हम मर्द
बनकर म्यूनिख लौटे.
Unit 4
द रेवोल्यूशन (The
Revolution)
सितम्बर 1976 की बात है, मै सोममे के बैटल में था
(Battle of Somme) हालत क्या था मै
बता नहीं सकता. ऐसा लग रहा था जैसे हम नर्क में हो. हफ्तों तक ड्रमफायर लगातार जारी
रही. लेकिन जर्मन सोल्जेर्स ने हार नहीं मानी थी. कभी ऐसे भी मौके आते थे जब हमे पीछे
हटना पड़ता था लेकिन हम खुद को आगे बढ़ने का हौसला देते रहे. हमारी जर्मन आर्मी काफी
स्ट्रोंग थी.
अक्टूबर 1916 की बात है, मै लड़ाई में बुरी तरह घायल हो गया
था. मुझे फ्रंट से हटाकर वापस जर्मनी भेज दिया गया, मुझे अपना देश छोड़े दो साल हो
गए थे.
हम सब घायल सोल्जेरस फिर से अपने वतन लौटकर खुश थे. लेकिन जो
मुसीबत सर पे थी उसका किसी को अंदाजा नहीं था. ट्रीटमेंट की वजह से मुझे होस्पिटल में
रहना पड़ा. होस्पिटल के मुलायम बेड पे लेटे-लेटे नर्सो की आवाज़ सुनना मुझे बड़ा अजीब
लग रहा था. कहाँ लड़ाई का मैदान और कहाँ ये माहौल, जमीन आसमान का फर्क था. जब मै थोडा
चलने फिरने लायक हुआ तो परमिशन लेकर मै बर्लिन
चला गया. बर्लिन में बुरा हाल था, चारो तरफ बदहाली फैली थी. पूरा शहर भूख
से तडफ रहा था और म्यूनिख की तो बर्लिन से भी बुरी हालत थी.
मुझे वहां पर रीप्लेसमेंट बटालियन ज्वाइन करने को बोला गया था. लेकिन यहाँ आकर मैंने
क्या देखा? ये वो शहर था ही नहीं जिससे मुझे प्यार था. हर तरफ बहुआए और गालियाँ. हमारे
बैरेक्स में मेरे साथी
सोल्जेर्स गुस्से से भरे थे. सीनियर सोल्जेर्स जरा-जरा सी बात
पे हमे पनिश कर देते थे जबकि वो खुद कभी बैटलफील्ड में नहीं गए थे.
लेकिन मेरा सारा ध्यान तो जेविश लोगो पर था जो शहर के ऑफिसो
में भरे हुए थे. सारे के सारे क्लेक्स जेविश थे यानी जो क्लर्क था वो पक्का जेविश था.
इनसे छुटकारा मिलना मुश्किल था क्योंकि ये लोग इंसान नहीं लीच थे जो लोगो का खून पीते थे. जेविश लोग वार सप्लाईज
बेच कर अमीर बन रहे थे. लड़ाई जितनी लंबी होगी इनका उतना ही फायदा होगा. ये लोग गन्स
और एम्यूनेशंस सप्लाई करते थे. इन्हें कमज़ोर करने का एक ही सोल्यूशन था कि हमे इकोनॉमी
अपने कण्ट्रोल में करनी होगी. प्रूरशियन और बावेरियंस एक दुसरे से फाईट करने में बीजी
थे और ये लोग पर्दे के पीछे से तमाशा देख रहे थे.
ये लोग इतने पॉवरफुल और अमीर थे कि बावेरिया
और प्रूशिया दोनों को बर्बाद कर सकते है. मार्च 1917
आते-आते मेरी फुल रिकवरी हो चुकी थी. अब मै एक
बार फिर से जर्मनी के लिए फाईट करने को पूरी तरह
रेडी था. ये नवंबर 1918 की बात है जब फाइनली लड़ाई
स्टॉप हुई. उस वक्त मै हाँस्पिटल में था. मेरी आँख में
चोट आई थी. एक पास्टर हमे रेवोल्यूशंन के बारे में
बताने आया, लड़ाई थम चुकी थी. और इसी के साथ
मोनार्ची का भी खात्मा हो चुका था. जर्मनी अब एक
रीपब्लिक कंट्री है. मुझे काफी गहरा सदमा लगा.
अपनी मदर की डेथ के बाद मै आज तक नहीं रोया था
मगर उस नवम्बर मै रोया. हमारी सारी मेहनत, हमारी
मेहनत, इतनी मुश्किले जो हमने फेस की थी, हमारे
कामरेड्स की कुर्बानी सब वेस्ट चला गया था, सब
मिटटी में मिल गया था. कैसर विलियम || (Kaiser
William ) ने मार्किस्ट के साथ मिलकर एक
एग्रीमेंट साइन किया. वो प्रूरशिया के लास्ट एम्परर थे.
मार्किस्ट की जीत हुई थी. अब मै और फाईट नहीं कर
सकता था इसलिए मैंने पोलिटिक्स ज्वाइन करने का
डिसीजन लिया. ये मेरे पोलिटिकल करियर की शुरुवात
थी.
लेकिन मुझे उस टाइम की किसी भी पार्टी में इंटरेस्ट
नहीं था क्योंकि मै उनकी आडियोलोजी नहीं मानता था.
बल्कि मै खुद को एक नेशनल सोशलिस्ट मानता था.
और यही मेरा उसूल था कि मुझे अपने लोगो और अपने
फादरलैंड के लिए जीना और मरना है. यानी हमे अपनी
कम्यूनिटी को बचाने के लिए हर हाल में लड़ना ही होगा
और अपने बच्चो को एक बैटर फ्यूचर प्रोवाइड करना
होगा ताकि हमारे खून की प्योरीटी बनी रहे. इसका ये
मतलब भी है कि हमे अपने फादरलैंड की आजादी की
हिफाजत करनी है क्योंकि अगर हमारा देश आज़ाद
रहेगा तभी उस मिशन में कामयाब हो सकते है जो
उपरवाले ने हमे दिया है.
और इस पर्पज की खातिर हमें हर ख्याल को Every action and every thought Must be grounded on this purpose. और इस पर्पज
की खातिर हमें हर ख्याल को Action। को तब्दील
करना पडेगा 1979 में मैंने एक कोर्स अटेंड किया जो
सोल्जेर्स के लिए होता था. हमे यही आर्डर मिला था
जिसमे लिखा था कि हर सोल्जर को सिविक थिंकिंग के
बेसिक्स पता होने चाहिए. एक दिन, एक पार्टीसिपेंट जो
जेविश लोगो की बड़ी तरफदारी करता था, उनके फेवर
में कुछ बोलने लगा. मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उठकर
उसे जवाब दिया, ज्यादातर लोग मेरी बात से एग्री थे. वो
सब बड़े ध्यान से मेरी स्पीच सुन रहे थे.
इसके बाद मुझे आर्मी में एजुकेशनल ऑफिसर बना
दिया गया. मै पैशन और एन्थूयाज्म से भर गया ये नहीं
जॉब मुझे बड़ी पंसद आ रही थी. फाइनली, मुझे हज़ारो
लोगो के सामने बोलने का मौका मिल रहा था. क्योंकि
मै यंग था, मुझे मालूम था कि मेरे अंदर एक स्किल है,
मै लोगो को इन्फ्लुयेंश कर सकता हूँ. इस टाइम मैंने
खुद को प्रूव करके दिखा दिया था. मेरी आवाज़ इतनी
स्ट्रॉंग है कि कमरे के कोने-कोने से गूंजती है. मुझे बेहद
ख़ुशी थी कि अपने इस गिफ्ट के भ्रू मै वो कर सकता हूँ
जिसकी मै मिलिट्री में सबसे ज्यादा वैल्यू करता हूँ. मैंने
हज़ारो लोगो को सर्विस में लौटने के लिए एंकरेज किया था,
मेरी बातो से मेरे देश के सोल्जेर्स इंस्पायर किया कि हम
अपनी ड्यूटी करे और अपने फादरलैंड को सर्व करे.
मै अपने जैसी थिंकिंग वाले दुसरे कामरेड्स से मिला.मैंने कई
लोगो को डिस्प्लीन सिखाया है. मैंने देश भर से लोगो को इस ग्रेट को ज्वाइन करने के
लिए इंस्पायर किया है और हमारे इस मूवमेंट को नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी
के तौर पे जाना जाता है.
नेशन एंड रेस (Nation and race )
कुछ ऐसे सच होते है जिनपर अक्सर लोग ध्यान नहीं
देते, ऐसे सच जो हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में भूल
जाते है. जैसे कि नेचर ने स्पीसीज जो डिफरेंट कैटेगरीज
में डिवाइड किया है. एक जानवर अपने जाति वाले के
साथ ही मेटिंग करता है, बच्चे पैदा करता है. चूहा चूहे
को मेट करता है,शेर शेर को. लेकिन अगर डिफरेंट स्पीसीज के बीच क्रोस ब्रीडिंग
होगी तो कमज़ोर बच्चे पैदा होंगे. थ्योरीटीकली बोले तो
अगर एक शेपहर्ड डॉग को शीप से क्रोस कराते है तो जो
बच्चे पैदा होंगे वो शीप से तो स्ट्रोंग होंगे लेकिन एक डॉग
के हिसाब से कमज़ोर होंगे.
इसलिए नेचर ने सबके लिए बेस्ट अरेंजमेंट किया है
ताकि प्योरिटी ऑफ़ रेस मेंटेन रहे. तभी तो कुत्ता कुत्ते
की तरफ अट्रेक्ट होता है और बकरी बकरी की तरफ.
सेम स्पीसेज़ के साथ मेटिंग सिस्टम से नेचर एक बेलेंस
मेंटेन रखती है. तभी तो कुत्ते का बच्चा कुत्ते जैसा और
बकरी का बच्चा बकरी जैसा दीखता है. इसलिए बात
जब इंटेलीजेन्स और स्ट्रंथ और शक्लोसूरत की हो तो
डिफ़रेंस साफ़-साफ नजर आता है. तो ओब्विय्स है कि
एक शेपहर्ड डॉग शीप से ताकतवर होगा.
यही सेम प्रिंसिपल हम इंसानों पर भी अप्लाई होता है.
महान आर्यन रेस क्यों खत्म हो गयी थी. क्योंकि इन्होने
अपने से कम लेवल के लोगो से सम्बंध बनाए. नार्थ
अमेरिकन लैटिन अमेरिकन्स से सुपीरियर है क्योंकि
इन लोगो ने दूसरी जाति वालो से क्रोस ब्रीडिंग नहीं की.
नार्थ अमेरिकन्स जेर्मनी के ही मूल निवासी है. इनकी
इंटेलीजेन्स और ताकत सिर्फ इसीलिए मेंटेन है क्योंकि इन्होने अपने
ब्लड को अभी तक प्योर रखा है. और
दूसरी तरफ लैटिन लोग है जिन्होंने
सेंट्रल और साउथ
अमेरिका में बाहर की कम्यूनिटी से
शादियाँ करके मिक्स
ब्रीड पैदा की है. लैटिन ब्लड इन्फिरीयेरिटी
से भरा है.
आप खुद देख लो कि नार्थ अमेरिका
लैटिन अमेरिका से
कितना पॉवरफुल है और ये सब प्योरिटी
ऑफ़ रेस की
वजह से ही पॉसिबल है.
इन फैक्ट जितने भी ग्रेट कल्चर हुए,
सब ब्लड मिक्सिंग
की वजह से बर्बाद हो गए है. इन्फीरियर
रेस के ब्लड
मिक्स होने से इनकी क्रिएटीविटी,
विजन, टेलेंट सब
खत्म हो गया. मेरे ख्याल से इंसानियत
को तीन ग्रुप
में बांटा जा सकता है. फर्स्ट, जो
कल्चर के फाउन्डर
है. सेकंड जो उस कल्चर को मेंटेन
रखते है और थर्ड
जो उसके डिस्ट्रॉयर है. और सिर्फ
आर्यन्स ही फर्स्ट
ग्रुप में आते है. आर्यन रेस ही
सारे सिवीलाइजेश्न्स की
फाउन्डेशन है. इन्होने ही ह्यूमन
प्रोग्रेस के बिल्डिंग स्टोन
यानी नींव रखी थी. आर्यन्स ने प्लान
बनाए, बाकि लोगो
ने उन्हें एक्जीक्यूट किया. अमेरिका
और योरोप की
अचीवमेंट चाहे साइंस में हो या टेक्नोलोजी
में, सब कुछ
आर्यन्स की ही देन है.
Unit 5
द राइट ऑफ़ एमरजेंसी डिफेन्स (The Right of Emergency Defence)
1918 और 1923 में हिस्ट्री रीपीट
हुई. 1978 में गवर्नमेंट
ने डिसाइड किया कि मार्किस्ट को
हमेशा के लिए खत्म
नहीं करना है क्योंकि इसकी वजह से
जेर्मनी को कीमत
चुकानी पड़ी थी. 1925 में जेर्मनी में मार्किज्म को
खत्म करने की बहुत ज्यादा ज़रूरत आन पड़ी थी. ये लोग सिवा खूनी और गद्दार के और और कुछ नहीं है.आप सिर्फ बुजुर्वा लोगो को ही बेवकूफ बना सकते हो कि मार्किस्ट कंट्री की प्रोग्रेस में अपना कोंट्रीब्यूशन देंगे. ये लोग जेविश है और 1918 की लड़ाई में 2 मिलियन सोल्जेर्स की मौत के जिम्मेदार है. और इसके बावजूद ये लोग सरकार में ऊंची पोजीशन हथियाना चाहते है.
फर्स्ट वर्ल्ड वार में जर्मन सोल्जेर्स
और जर्मन वर्कर्स मार्किस्ट लीडर्स की साजिश का शिकार हुए थे. वार के बाद इन मार्किस्टो
ने हमारे फादरलैंड पे कब्ज़ा जमा लिया था. जेर्मनी के बेटो ने इसलिए अपनी जान
की कुर्बानी नहीं दी कि ये गद्दार
जेविश आकर हम पे
हुकूमत करे. ये 75,000 हिब्रू लोग
जो हद दर्जे के
बेईमान है, इन्हें तो 1974 में ही
गैस चैम्बर्स में डाल कर
मार देना चाहिए था ताकि 1978 की
वार के सोल्जेर्स
आज जिंदा होते और उन्हें वो मिलता
जिसके लिए वो
लड़े थे. इन वर्कर्स और सोल्जेरस
की जान इन “सो काल्ड
चोजन पीपल” से कई ज्यादा कीमती है.
लेकिन जर्मनी के बुजुर्वा ग्रुप
ने ये सब होने दिया.
स्टेट्समेनशिप के नाम पर इन्होने
इन हिब्रू गद्दारों के लिए
पॉवरफुल बनने के सारे रास्ते खोल
दिए है. वो भी तब जब जेर्मनी के लाखो वफादार बैटलफील्ड में जान दे रहे है. लेकिन हमे
ये गलती रीपीट नहीं करनी है. 1923 में ज़रूरत है कि हम इन मार्क्सवादियों को हमेशा
हमेशा के लिए मिटा दे. सिर्फ दुआओं से देश नहीं बचता. पैसिव
रेजिस्टेंस सिर्फ कुछ टाइम तक चलेगा.
डिसप्यूट सेटल
करने के लिए वॉरफेयर जैसी कोई चीज़
नहीं है. देश को
बचाने का सिर्फ एक ही सच्चा और इफेक्टिव
तरीका है
और वो है मिलिट्री फ़ोर्स का. नंवबर
1923 में रीपब्लीक
ने नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स
की पार्टी को खत्म
करने का आर्डर दिया.
मेम्बर्स को सख्त हिदायत मिली थी
कि दुबारा कभी
कोई मीटिंग ना रखी जाए. लेकिन जैसा
कि अब नवम्बर
1926 में जब मै इस बुक को खत्म कर
रहा हूँ, हमारी
नाज़ी पार्टी पहले से ज्यादा स्ट्रॉंग
और पॉवरफुल हुई
है. राईट आईडियाज को फैलने से कोई
नहीं रोक
सकता. हम नाज़ी लोग अपनी प्योर विल,
प्योर स्पिरिट
को फैलाते रहेंगे. वैल्यू ऑफ़ पर्सनेलिटी
और रेस ही
हमारी पार्टी का कोर है. बस एक बार
हमे इस रेशियल
जहर का इलाज़ कर लेने दो फिर सारी
दुनिया देखेगी
कि जर्मन्स इस दुनिया में कैसे राज़
करते है. हम नाज़ी
अपने फादरलैंड और अपने लोगो को बचाने
के लिए
कुछ भी करेंगे, किसी भी हद तक जायेंगे.
जर्मनी,
जर्मनी सबसे ऊंपर, दुनिया में सबसे
उपर.
कनक्ल्यूजन (Canculsion)
आपने इस बुक में अडोल्फ़ हिटलर के बारे में पढ़ा,
वो कैसा था, क्या सोचता था इस बारे में पढ़ा. हिटलर
अपनी जाति को बाकियों से प्योर मानता था, वो कट्टर
मार्क्सवादी विचारों का इन्सान था. लेकिन वो बातो से
ज्यादा एक्शन में बिलिव करता था. डिप्लोमेसी उसकी
नजरो में कायरता की निशानी थी.आज हम डिजिटल एज में जी रहे है. दुनिया के अलग-अलग कोनो में रहने वाले लोग एक दुसरे से
कनेक्टेड है. हम चाहे किसी भी रंग, जाति या कल्चर के
हो, अंदर से तो हम सब इंसान है और यही हमारी सबसे
बड़ी पहचान है.
हम सब अपनी फेमिली, अपने करीबी लोगो से प्यार करते है, उन्हें प्रोटेक्ट करना चाहते है. हम सब अपने सपने पूरे होते देखना चाहते है और खुश रहना चाहते है.
इसलिए आज ज़रूरत इस बात की है कि हमारे अंदर
एम्पेथी हो, हम दूसरो का पेन फील कर सके और उनके
पॉइंट ऑफ़ व्यू से समझने की कोशिश करे. तो आपके
ख्याल से क्या आपकी लाइफ को बैटर बना सकता
है. गुस्सा और क्लोज़ माइंडनेस या काइंडनेस और
अंडरस्टैंडिंग ? तो आप अपनी लाइफ में कया चाहते है?
नफरत या प्यार और कम्पैशन? चॉइस आपकी है.
4 Comments
Super sir
ReplyDeleteI liked it,good summary
ReplyDeleteVery good,
ReplyDeleteHitler biography
GOOD
ReplyDeleteThank you